गौशालाएँ भारतीय संस्कृति और समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये केवल बेसहारा और परित्यक्त गायों के संरक्षण का कार्य नहीं करतीं, बल्कि जैविक खेती, पर्यावरण संतुलन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भी सहायक होती हैं।

गौशाला: उत्तर प्रदेश की सभी गौशालाओं (UP Gaushala) का विवरण

उत्तर प्रदेश में कई जिलों में बड़ी गौशालाएँ संचालित की जा रही हैं, जिनमें 25,000 से 30,000 गौवंश का संरक्षण किया जा रहा है। Upto 30000 Cows Capacity Gaushala

  • प्रयागराज (25,063 गौवंश)
  • बदायूं (25,776 गौवंश)
  • रायबरेली (25,879 गौवंश)
  • मथुरा (28,040 गौवंश)
  • बाराबंकी (28,902 गौवंश)

1. प्रयागराज: 25,063 गौवंश क्षमता Upto 30000 Cows

प्रयागराज धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ की गौशालाएँ प्राचीन परंपराओं के अनुरूप आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित हैं।

मुख्य विशेषताएँ:

  • गोबर गैस संयंत्रों की स्थापना की गई है, जिससे ऊर्जा उत्पादन किया जाता है।
  • जैविक खेती हेतु गौमूत्र और गोबर खाद का उत्पादन और वितरण किया जाता है।
  • यहाँ पर गोवंश चिकित्सा केंद्र संचालित हैं, जहाँ पशुओं के स्वास्थ्य की देखभाल की जाती है।
  • प्रयागराज की गौशालाएँ धार्मिक आयोजनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और तीर्थयात्रियों को भी सेवा प्रदान करती हैं।

प्रमुख गौशालाएँ:

  • अखिल भारतीय गौ सेवा संघ गौशाला
  • श्रीकृष्ण गौशाला, झूंसी

गोशाला के बारे में यह भी पढ़ें :: गौशाला: उत्तर प्रदेश के जिलों में 5000 से कम गौवंश


2. बदायूं: 25,776 गौवंश क्षमता Upto 30000 Cows

बदायूं जिले की गौशालाएँ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। यहाँ के किसान गौशालाओं से प्राकृतिक खाद और जैविक उत्पाद प्राप्त कर खेती में सुधार कर रहे हैं।

मुख्य विशेषताएँ:

  • चारे की व्यवस्था के लिए विशेष चारागाह विकसित किए गए हैं।
  • आधुनिक दुग्ध उत्पादन प्रणाली अपनाई गई है।
  • गोबर से बने उत्पादों को स्थानीय और राष्ट्रीय बाजारों में बेचा जाता है।
  • बेसहारा गायों को पुनर्वास देने के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं।

प्रमुख गौशालाएँ:

  • गौशाला सेवा ट्रस्ट, बदायूं
  • श्रीराम गौशाला

गोशाला के बारे में यह भी पढ़ें ::  उत्तर प्रदेश में 5000-10,000 गौवंश क्षमता वाली गौशालाएँ


3. रायबरेली: 25,879 गौवंश क्षमता Upto 30000 Cows

रायबरेली में गौशालाएँ न केवल पशुपालन के लिए जानी जाती हैं, बल्कि यहाँ जैविक खेती और पशु चिकित्सा के क्षेत्र में भी नवाचार किए जा रहे हैं।

मुख्य विशेषताएँ:

  • गायों के रहने के लिए आधुनिक शेड और स्वच्छता की उत्तम व्यवस्था की गई है।
  • जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए गौशाला से किसानों को जैविक खाद दी जाती है।
  • गौशालाओं में सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए गए हैं, जिससे ऊर्जा की आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती है।
  • गौमूत्र से प्राकृतिक कीटनाशकों का निर्माण किया जाता है।

प्रमुख गौशालाएँ:

  • श्रीकृष्ण गोशाला, रायबरेली
  • गायत्री गौ सेवा केंद्र

गोशाला के बारे में यह भी पढ़ें ::  उत्तर प्रदेश में 10,000-15,000 गौवंश क्षमता वाली गौशालाएँ


4. मथुरा: 28,040 गौवंश क्षमता Upto 30000 Cows

मथुरा, जो भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि के रूप में प्रसिद्ध है, यहाँ की गौशालाएँ देशभर में विशेष पहचान रखती हैं। मथुरा में गौसेवा को आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • यहाँ की गौशालाएँ आधुनिक तकनीकों से युक्त हैं, जिनमें स्वचालित दुग्ध संग्रहण और चारा वितरण प्रणाली शामिल हैं।
  • पंचगव्य चिकित्सा (गौमूत्र और अन्य गौ-उत्पादों से चिकित्सा) का अनुसंधान और उपयोग किया जाता है।
  • यहाँ के गोबर गैस संयंत्रों से पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा उत्पन्न की जाती है।
  • गौशालाएँ श्रद्धालुओं और भक्तों के लिए भी एक तीर्थस्थल का कार्य करती हैं।

प्रमुख गौशालाएँ:

  • श्रीकृष्ण बालराम गौशाला, वृंदावन
  • पागल बाबा गौशाला, मथुरा
  • गौ सेवा धाम, गोवर्धन

गोशाला के बारे में यह भी पढ़ें ::  उत्तर प्रदेश : 15,000 से 20,000 गौवंश क्षमता वाली गौशालाएँ


5. बाराबंकी: 28,902 गौवंश क्षमता Upto 30000 Cows

बाराबंकी जिले की गौशालाएँ विशेष रूप से जैविक खेती और पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे रही हैं। यहाँ पर गोवंश संरक्षण के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग पर भी जोर दिया जाता है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • गौशालाओं में हाइड्रोपोनिक चारा उत्पादन प्रणाली लागू की गई है।
  • गोबर से बने कंडे, जैविक खाद और अन्य उत्पादों का बड़े स्तर पर उत्पादन और विपणन किया जाता है।
  • यहाँ बेसहारा और बीमार गायों के लिए विशेष पुनर्वास केंद्र बनाए गए हैं।
  • गौशालाओं में वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण की व्यवस्था की गई है।

प्रमुख गौशालाएँ:

  • बाराबंकी गौशाला ट्रस्ट
  • गायत्री गौ सेवा केंद्र

गोशाला के बारे में यह भी पढ़ें :: उत्तर प्रदेश की गौशाला : 20,000 से 25,000 गौवंश क्षमता वाली गौशालाएँ


उत्तर प्रदेश में 25,000 से 30,000 गौवंश क्षमता वाली गौशालाएँ केवल गोधन संरक्षण तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे सतत कृषि, ग्रामीण विकास, और पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

सरकार और सामाजिक संगठनों के सहयोग से इन गौशालाओं का भविष्य उज्ज्वल है। यदि इन्हें और अधिक तकनीकी सहायता, वित्तीय सहयोग और जनभागीदारी मिलती है, तो ये न केवल गौवंश संरक्षण में बल्कि सतत कृषि और पर्यावरण सुधार में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें