उत्तर प्रदेश भारत के सबसे बड़े राज्यों में से एक है, जहाँ गौ-पालन और गौ-संरक्षण की प्राचीन परंपरा रही है। यहाँ हजारों गौशालाएँ (UP Gaushala) संचालित हो रही हैं, जो बेसहारा और लावारिस गायों को आश्रय देने का कार्य कर रही हैं। प्रदेश के प्रत्येक जिले में कई सरकारी और गैर-सरकारी गौशालाएँ स्थापित हैं, जो गौवंश की देखभाल, उनके भोजन, चिकित्सा और संरक्षण का कार्य कर रही हैं।

प्रत्येक जिले में स्थित गौशालाओं (UP Gaushala) का विस्तृत विवरण दिया गया है। इसमें गौशालाओं की संख्या, उनकी स्थिति, उपलब्ध सुविधाएँ, संचालन से जुड़ी समस्याएँ और सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का उल्लेख किया गया है। यदि आप अपने जिले में स्थित गौशालाओं (UP Gaushala) की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं या गौ-संरक्षण में सहयोग करना चाहते हैं, तो यह जानकारी आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी।

गौशाला: उत्तर प्रदेश की सभी गौशालाओं (UP Gaushala) का विवरण

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आगरा

आगरा में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 20,581 हैं। यह शहर अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।

अलीगढ़

अलीगढ़ में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 18,549 हैं। यह शहर शिक्षा और उद्योग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

अंबेडकर नगर

अंबेडकर नगर में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 4,982 हैं। यह जिला सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए प्रयासरत है।

अमेठी

अमेठी में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 20,149 हैं। यह क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों का केंद्र है।

अमरोहा

अमरोहा में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 5,043 हैं। यह जिला कृषि और उद्योग के क्षेत्र में विकास कर रहा है।

औरैया

औरैया में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 10,744 हैं। यह क्षेत्र अपनी उपजाऊ भूमि और कृषि उत्पादन के लिए जाना जाता है।

अयोध्या

अयोध्या में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 14,846 हैं। यह शहर धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का केंद्र है।

आज़मगढ़

आज़मगढ़ में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 8,496 हैं। यह जिला शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में प्रसिद्ध है।

बागपत

बागपत में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 6,506 हैं। यह क्षेत्र कृषि और उद्योग के क्षेत्र में विकास कर रहा है।

बहराइच

बहराइच में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 24,041 हैं। यह जिला अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।

बलिया

बलिया में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 2,568 हैं। यह क्षेत्र कृषि और सामाजिक विकास के लिए प्रयासरत है।

बलरामपुर

बलरामपुर में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 12,465 हैं। यह जिला अपनी प्राकृतिक संपदा और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है।

बांदा

बांदा में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 67,762 हैं। यह क्षेत्र कृषि और उद्योग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

बाराबंकी

बाराबंकी में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 28,902 हैं। यह जिला कृषि और सामाजिक विकास के लिए प्रयासरत है।

बरेली

बरेली में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 14,773 हैं। यह शहर उद्योग और व्यापार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

बस्ती

बस्ती में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 4,464 हैं। यह क्षेत्र कृषि और सामाजिक विकास के लिए प्रयासरत है।

भदोही

भदोही में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 5,884 हैं। यह जिला कालीन उद्योग के लिए प्रसिद्ध है।

बिजनौर

बिजनौर में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 9,674 हैं। यह क्षेत्र कृषि और उद्योग के क्षेत्र में विकास कर रहा है।

बदायूं

बदायूं में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 25,776 हैं। यह जिला अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है।

बुलंदशहर

बुलंदशहर में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 16,137 हैं। यह क्षेत्र कृषि और उद्योग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

चंदौली

चंदौली में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 2,219 हैं। यह जिला अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।

चित्रकूट

चित्रकूट में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 54,129 हैं। यह क्षेत्र धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का केंद्र है।

देवरिया

देवरिया में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 2,699 हैं। यह जिला कृषि और सामाजिक विकास के लिए प्रयासरत है।

एटा

एटा में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 6,134 हैं। यह क्षेत्र कृषि और उद्योग के क्षेत्र में विकास कर रहा है।

एटावा

एटावा में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 9,642 हैं। यह जिला कृषि और उद्योग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

फर्रुखाबाद

फर्रुखाबाद में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 11584 हैं। यह क्षेत्र अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है।

फतेहपुर

फतेहपुर में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 19449 हैं। । यह जिला कृषि और सामाजिक विकास के लिए प्रयासरत है।

फिरोजाबाद

फिरोजाबाद में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 9837 हैं। । यह शहर कांच उद्योग के लिए प्रसिद्ध है।

गाजियाबाद

गाजियाबाद में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 5402 हैं । यह शहर उद्योग और व्यापार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

गाजीपुर

गाजीपुर में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 7084 हैं । यह जिला कृषि और उद्योग के क्षेत्र में विकास कर रहा है।

गोंडा

गोंडा में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 19667 हैं। यह क्षेत्र कृषि और सामाजिक विकास के लिए प्रयासरत है।

गोरखपुर

गोरखपुर में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 4676 हैं । यह शहर धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का केंद्र है।

हमीरपुर

हमीरपुर में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 40865 है । यह जिला कृषि और उद्योग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

हापुड़

हापुड़ में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 3686 हैं। यह क्षेत्र कृषि और उद्योग के क्षेत्र में विकास कर रहा है।

हरदोई

हरदोई में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 65266 हैं । यह जिला कृषि और सामाजिक विकास के लिए प्रयासरत है।

हाथरस

हाथरस में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 15271 हैं । यह क्षेत्र अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है।

जालौन (ओरई)

जालौन (ओरई) में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 41,518 हैं । यह जिला कृषि और उद्योग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

जौनपुर

जौनपुर में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 14458 हैं । यह शहर अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है।

झांसी

झांसी में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 52541 हैं । यह शहर अपनी वीरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।

कन्नौज

कन्नौज में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 9269 हैं । यह जिला कृषि और उद्योग के क्षेत्र में विकास कर रहा है।

कानपुर देहात

कानपुर देहात में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 12791 हैं । यह क्षेत्र कृषि और सामाजिक विकास के लिए प्रयासरत है।

कानपुर नगर

कानपुर नगर में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 21770 हैं । यह शहर उद्योग और व्यापार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

कासगंज

कासगंज में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 6130 हैं । यह जिला कृषि और उद्योग के क्षेत्र में विकास कर रहा है।

कौशांबी

कौशांबी में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 10,578 हैं । यह क्षेत्र अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है।

कुशीनगर

कुशीनगर में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 1452 हैं । यह जिला धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का केंद्र है।

लखीमपुर खीरी

लखीमपुर खीरी में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 34,330 हैं । यह क्षेत्र कृषि और उद्योग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

ललितपुर

ललितपुर में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 34615 हैं ।यह जिला अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।

लखनऊ

लखनऊ में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 21447 हैं । यह शहर उत्तर प्रदेश की राजधानी है और अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है।

महाराजगंज

महाराजगंज में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 2001 हैं । यह जिला कृषि और सामाजिक विकास के लिए प्रयासरत है।

महोबा

महोबा में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 38982 हैं । यह क्षेत्र अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है।

मैनपुरी

मैनपुरी में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 8639 हैं । यह जिला कृषि और उद्योग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

मथुरा

मथुरा में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 28040 हैं । यह शहर धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का केंद्र है।

मऊ

मऊ में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 3463 हैं । यह जिला कृषि और सामाजिक विकास के लिए प्रयासरत है।

मेरठ

मेरठ में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 7295 हैं । यह शहर उद्योग और व्यापार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

मिर्जापुर

मिर्जापुर में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 12,935 हैं । यह क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।

मुरादाबाद

मुरादाबाद में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 7546 हैं । यह शहर पीतल उद्योग के लिए प्रसिद्ध है।

मुजफ्फरनगर

मुजफ्फरनगर में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 6837 हैं । गौशालाओं में अधिकतम 9323 गौवंशों को रखा जा सकता है । यह जिला कृषि और उद्योग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

नोएडा (गौतम बुद्ध नगर)

नोएडा (गौतम बुद्ध नगर) में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 8855 हैं । यह शहर उद्योग और व्यापार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

पीलीभीत

पीलीभीत में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 6826 हैं । गौशालाओं में अधिकतम 4420 गौवंशों को रखा जा सकता है । यह जिला कृषि और सामाजिक विकास के लिए प्रयासरत है।

प्रतापगढ़

प्रतापगढ़ में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 18329 हैं । यह क्षेत्र अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है।

प्रयागराज

प्रयागराज में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 25063 हैं । यह शहर धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का केंद्र है।

रायबरेली

रायबरेली में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 25879 हैं । यह जिला कृषि और सामाजिक विकास के लिए प्रयासरत है।

रामपुर

रामपुर में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 2535 हैं । यह शहर अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है।

सहारनपुर

सहारनपुर में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 3104 हैं । यह जिला कृषि और उद्योग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

संभल

संभल में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 22586 हैं । यह क्षेत्र कृषि और सामाजिक विकास के लिए प्रयासरत है।

संत कबीर नगर

संत कबीर नगर में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 1712 हैं । यह जिला धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का केंद्र है।

शाहजहांपुर

शाहजहांपुर में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 14538 हैं । यह क्षेत्र कृषि और उद्योग के क्षेत्र में विकास कर रहा है।

शामली

शामली में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 2811 हैं । यह जिला कृषि और सामाजिक विकास के लिए प्रयासरत है।

श्रावस्ती

श्रावस्ती में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 15140 हैं । यह क्षेत्र धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का केंद्र है।

सिद्धार्थनगर

सिद्धार्थनगर में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 8434 हैं । यह जिला कृषि और उद्योग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

सीतापुर

सीतापुर में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 65430 हैं । यह क्षेत्र कृषि और सामाजिक विकास के लिए प्रयासरत है।

सोनभद्र

सोनभद्र में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 2584 हैं । यह जिला अपनी प्राकृतिक संपदा और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।

सुल्तानपुर

सुल्तानपुर में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 12867 हैं । यह क्षेत्र कृषि और उद्योग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

उन्नाव

उन्नाव में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 34037 हैं । यह जिला कृषि और सामाजिक विकास के लिए प्रयासरत है।

वाराणसी

वाराणसी में गौशालाएं में गौवंशों की संख्या 7059 हैं । यह शहर धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का केंद्र है।

UP Gaushala में एक गौवंश पर सरकार का खर्च

गौशालाएँ बेसहारा और लावारिस गायों के संरक्षण, देखभाल और पुनर्वास के लिए चलाई जाती हैं। इन गौशालाओं का संचालन सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा किया जाता है, जिसमें सरकार आर्थिक सहायता प्रदान करती है। उत्तर प्रदेश सरकार ने गौशालाओं ( UP Gaushala ) को संचालित करने के लिए कई योजनाएँ लागू की हैं, जिनके तहत प्रति गौवंश के लिए निश्चित राशि प्रदान की जाती है।

एक गौवंश पर सरकार द्वारा किया जाने वाला खर्च

उत्तर प्रदेश सरकार विभिन्न गौ संरक्षण योजनाओं ( UP Gaushala ) के अंतर्गत प्रति गाय औसतन 30 से 50 रुपये प्रतिदिन खर्च करती है। यह राशि गायों के चारे, पानी, दवाई, आश्रय और देखभाल के लिए खर्च की जाती है। यदि इसे मासिक रूप में देखा जाए, तो एक गाय पर लगभग 900 से 1500 रुपये प्रति माह का खर्च आता है।

UP Gaushala में खर्च की प्रमुख श्रेणियाँ

  1. चारा और भोजन:
    • सूखा चारा (भूसा, खली)
    • हरा चारा (नेपियर घास, चरी, गन्ना पत्ती)
    • खनिज मिश्रण और पूरक आहार
    • अनुमानित खर्च: 15-25 रुपये प्रतिदिन प्रति गाय
  2. पशु चिकित्सा और दवाई:
    • नियमित टीकाकरण और इलाज
    • बीमार गायों के लिए विशेष देखभाल
    • अनुमानित खर्च: 5-10 रुपये प्रतिदिन प्रति गाय
  3. आश्रय और रखरखाव:
    • गौशाला परिसर की सफाई
    • शेड और गोशालाओं का रखरखाव
    • अनुमानित खर्च: 5-10 रुपये प्रतिदिन प्रति गाय
  4. प्रबंधन और देखरेख:
    • कर्मचारियों का वेतन (गौशाला प्रबंधक, सफाईकर्मी, पशु चिकित्सक)
    • जल आपूर्ति और बिजली खर्च
    • अनुमानित खर्च: 5 रुपये प्रतिदिन प्रति गाय

सरकार की वित्तीय सहायता योजनाएँ

  1. गौ संरक्षण और गौ संवर्धन योजना: इसके तहत सरकार गौशालाओं ( UP Gaushala ) को अनुदान प्रदान करती है।
  2. मुख्यमंत्री निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना: इस योजना में 900-1500 रुपये प्रति गौवंश प्रति माह दिया जाता है।
  3. पशुपालन विभाग की विशेष सहायता योजना: गौशालाओं में रह रहे गोवंशों के लिए चारे और चिकित्सा सुविधाओं हेतु आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाता है।

गौशालाओं में गौवंश रखने की क्षमता और आवश्यक व्यवस्थाएँ

गौशालाओं में कितने गौवंश रखे जा सकते हैं, यह पूरी तरह से उपलब्ध ज़मीन, गौशाला के आकार, चारे और पानी की व्यवस्था पर निर्भर करता है। सही योजना और उचित प्रबंधन से अधिक से अधिक गायों को समुचित देखभाल मिल सकती है।


1. ज़मीन की उपलब्धता और स्थान निर्धारण

गौशाला में गौवंश रखने के लिए आवश्यक स्थान निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है:

  • कवर एरिया: 100 गायों के लिए 50 बाय 30 फुट (1500 स्क्वायर फुट) की जगह होनी चाहिए।
  • प्रति गाय स्थान: एक गाय को आराम से रखने के लिए 15 स्क्वायर फुट जगह आवश्यक होती है।
  • प्रति एकड़ क्षमता: एक एकड़ में कितनी गायें रखी जा सकती हैं, यह मिट्टी की गुणवत्ता, चारागाह की स्थिति और जल संसाधनों पर निर्भर करता है।

यदि गौशाला में 500 गायों को रखा जाना है, तो कम से कम 7500 स्क्वायर फुट (लगभग 0.2 एकड़) कवर क्षेत्र आवश्यक होगा।


2. चारा और पानी की व्यवस्था

गायों की सेहत बनाए रखने के लिए उचित आहार और पानी की आपूर्ति अत्यंत महत्वपूर्ण है।

(i) पानी की आवश्यकताएँ

  • एक गाय को रोज़ाना 75 से 80 लीटर पानी की आवश्यकता होती है।
  • यदि गौशाला में 100 गायें हैं, तो 7500-8000 लीटर पानी प्रतिदिन उपलब्ध होना चाहिए।
  • गर्मी के मौसम में यह आवश्यकता बढ़ सकती है, इसलिए पर्याप्त पानी भंडारण की व्यवस्था करनी आवश्यक है।

(ii) चारे की आवश्यकताएँ

  • प्रति गाय प्रतिदिन 15 किलो चारा दिया जाना चाहिए।
  • चारे में शामिल हो सकते हैं:
    • गेहूं का भूसा
    • पैराकुट्टी (धान का पुआल)
    • अन्य सूखा चारा
    • हरा चारा (नेपियर घास, बरसीम, ज्वार, मक्का इत्यादि)

यदि गौशाला में 100 गायें हैं, तो प्रतिदिन 1500 किलो चारे की व्यवस्था होनी चाहिए।


3. गौशाला में रहने वाले गौवंशों की देखभाल

गौशालाओं (UP Gaushala) में रह रहे गौवंशों को स्वस्थ और सुरक्षित रखने के लिए निम्नलिखित व्यवस्थाएँ की जानी चाहिए:

(i) स्वास्थ्य और चिकित्सा देखभाल

  • गायों को भूख, भय, परेशानी और बीमारियों से मुक्त रखना चाहिए।
  • बरसात के मौसम से पहले और बाद में संक्रमण से बचाव के लिए कृमिनाशक दवाएं दी जानी चाहिए।
  • समय-समय पर टीकाकरण और पशु चिकित्सा जांच करानी आवश्यक होती है।

(ii) प्राकृतिक वातावरण और आरामदायक आश्रय

  • गायों को खुली जगह में घूमने की सुविधा मिलनी चाहिए ताकि वे प्राकृतिक रूप से व्यायाम कर सकें।
  • गौशाला में कवर सेट (छाया वाला क्षेत्र) और खुला मैदान दोनों होने चाहिए, ताकि गायों को ताज़ी हवा मिल सके।

4. गौशालाओं में संरचनात्मक आवश्यकताएँ

गौशालाओं (UP Gaushala) के निर्माण में निम्नलिखित सुविधाएँ होनी चाहिए:

  • चारा भंडारण शेड ताकि बारिश और नमी से चारा खराब न हो।
  • जल आपूर्ति टैंक और खुले पानी के हौज़ ताकि गायों को समय पर स्वच्छ पानी मिल सके।
  • मिट्टी या ईंटों के फर्श वाले क्षेत्र ताकि फिसलन न हो और गोबर एवं गंदगी आसानी से साफ की जा सके।
  • बीमार और स्वस्थ गायों के लिए अलग-अलग बाड़े ताकि बीमारियां न फैलें।

UP Gaushala

गौशाला (UP Gaushala) के सफल संचालन के लिए पर्याप्त ज़मीन, चारा, पानी और चिकित्सा व्यवस्था अत्यंत आवश्यक होती है। सरकार और सामाजिक संगठनों के सहयोग से गौशालाओं में बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा सकती हैं। यदि गौशाला में सही प्रबंधन किया जाए तो अधिक संख्या में गायों को आश्रय दिया जा सकता है और उनके संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकते हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार गौशालाओं ( UP Gaushala ) में रहने वाले प्रत्येक गौवंश पर प्रतिदिन लगभग 30-50 रुपये खर्च कर रही है। हालांकि, यह राशि कई स्थानों पर अपर्याप्त साबित होती है, क्योंकि बढ़ती महंगाई और संसाधनों की कमी के कारण गौशालाओं को अतिरिक्त वित्तीय सहायता की आवश्यकता होती है। सरकार के साथ-साथ समाज को भी गौ-संरक्षण में योगदान देना चाहिए, ताकि बेसहारा गौवंश को उचित देखभाल और संरक्षण मिल सके।

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