कपिल काजल
बेंगलुरु, कर्नाटक

हम अक्सर यहीं सोचते हैं कि वातारण में कार्बनडाइआक्साइड का बढ़ता स्तर ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ा रहा है। लेकिन यह अधूरा सच है। पूरा सच यह है कि प्रदूषित हवा हवा में यदि हम लगातार सांस ले रहे हैं तो तो हम बीमार भी कर सकता है। सेंटर ऑफ इकोलॉजिकल साइंस (सीइएस), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) ने 2016 में जो अध्ययन किया था, इसकी रिपोर्ट बैगलुरूवासियों के लिए चिंता का विषय है। इस अध्ययन से पता चला है कि बेंगलुरू कार्बन डाउआक्साइड पैदा करने वाला देश का चौथा प्रदूषित शहर है। बेंगलुरू में 19,796.5 किलोग्राम कार्बनडाइआक्साइड हवा में छोड़ा जाता है। इसमें भी 43 प्रतिशत प्रदूषण की वजह वाहन है। इनसे निकलने वाला काले धुआं हवा को जहरीला कर रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों (जीएचजी) बढ़ने का हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है। इससे दिल की बीमारियां, दौरा पड़ना, टीबी, फेफड़े का कैंसर और बच्चों में सांस की बीमारियां तेजी से बढ़ रही है।

सीआईएस, आईआईएससी के विशेषज्ञ डॉ टीवी रामचंद्र ने बताया कि कार्बनडाउआक्साइड बढ़ाने में सड़क पर वाहनों की संख्या तो मायने रखती है, यह भी मायने रखता है कि वाहन दूरी कितनी तय कर रहे हैं। क्योंकि वाहन जितना चलेंगे, उनसे प्रदूषण उतना ही ज्यादा होगा।

(कैप्शन:भारत के अलग अलग शहरों में वाहनों से होने वाले प्रदूषण का विवरण _आईआईएससी )

(कैप्शन- भारत के अलग अलग शहरों में वाहनों से निकलने वाला कार्बनडाउआक्साइड

दिल्ली में 12394 किलोग्राम, ग्रेटर मुंबई 3851 किलोग्राम, कोलकाता 1886 , चेन्नई4180, हैदराबाद 7788 और अहमदाबाद 2273 किलोग्राम कार्बन डाउआक्साइड निकलता है, चार्ट- आईआईएससी )

इससे बचना है तो सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में करना होगा सुधार

विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदूषण के बढ़ते स्तर को यदि समय रहते कम नहीं किया गया तो भविष्य में इसके बहुत ही चिंतजानक परिणाम सामने आ सकते हैं। फाउंडेशन ऑफ इकोलॉजिकल सिक्योरिटी ऑफ इंडिया के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य डॉ. येलापा रेड्डी ने बताया कि हम जिस तरह का जीवन जी रहे हैं, इससे प्रदूषण बढ़ रहा है। जो ग्लोबल वार्मिंग का कारण बन रहा है। इससे वातावरण गर्म हो रहा है। इसके प्रभाव से ग्लेशियर पिघल रहे हैं। जिससे समुद्र का जल बढ़ रहा है। कार्बन डाइआक्साड का बढ़ता स्तर ग्रीन हाउस गैस बढ़ाने में सबसे बड़ा कारण उभर कर सामने आ रहा है। ग्रीन हाउस गैस में कार्बन डाइआक्साइड 65 प्रतिशत है। इसके लिए बहुत हद तक सड़कों पर दौड़ रहे वाहन जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि अमर हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्बन डाउआक्साइड के निकलने का अध्ययन करें तो पायेंगे कि वाहनों का प्रदूषण में 30 से 25 प्रतिशत योगदान है। बेंगलुरु में तो हालात इससे भी खराब है।

इसका असर भी नजर आने लगा है। बेंगलुरु के तापमान में एक से लेकर डेढ़ डिग्री सेल्सियस की वृद्धि नोट की गयी है। अब यदि वाहनों से होने वाला प्रदूषण यदि बढ़ता है तो इसका सीधे सीधे वातावरण पर असर पड़ेगा। इससे निश्चित ही गर्मी बढ़ेगी। यह ओजोन परत में छेद की वजह बन सकता है। इससे सनबर्न और त्वचा कैंसर के मामलों में भी वृद्धि संभव है।

(कैप्शन- ग्रेटर बंगलौर में कार्बन डाइऑक्साइड का तुलनात्मक चार्ट – IISc)

विशेषज्ञों का कहना है कि अकेले वाहनों से निकलने वाला धुआं ही हवा में कार्बन डाइआक्साइड बढ़ाने का कारण हैं। इसके साथ ही घरों में रोजमर्रा के कामकाज, उद्योग, कृषि, पशु और कचरा भी शहरो में कार्बन डाईआक्साइड बढ़ाने की वजह है।

डाक्टर रामचंद्र ने बताया कि सार्वजनिक वाहनों की कमी और बिना योजना के शहरीकरण से लोग आवाजाही के लिए निजी वाहनों का प्रयोग करते हैं। क्योंकि उनके पास आने जाने के लिए सार्वजनिक वाहनों का विकल्प नहीं है। अब इससे बचने के लिए यदि लोगों को सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था न सिर्फ सस्ती हो, बल्कि आसानी से सुलभ उपलब्ध करा दी जाए तो लोग निजी वाहनों को छोड़ कर इसका प्रयोग कर सकते हैं।

उन्होंने नम्मा मेट्रो परियोजना की आलोचना करते हुए कहा कि यह महंगी है। सरकार को सिर्फ पैसे का लाभ ही नहीं देखना चाहिए, बल्कि पर्यावरण के बारे में भी सोचना चाहिए। इसी तरह से हर उद्योग को बेंगलुरु में लगाने की इजाजत देने की जगह इसे दूसरे जिलों जैसे रायचूर या बेलागवी में भी स्थापित किया जा सकते हैं।

कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (केएसपीसीबी) के मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी डॉ एच लोकेश्वरी ने कहा कि शहर में 83 लाख वाहन हैं। केएसपीसीबी के पास यह अधिकार नहीं कि वह लोगों को वाहन खरीदने से रोक सके। उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए हमें दिल्ली की तरह निर्माण गतिविधियों को कुछ समय के लिए रोक सकते हैं।

उन्होंने बताया कि प्रदूषण का स्तर कम करने के लिए हमने बेंगलूरु महानगर परिवहन निगम में सीएनजी बसों के प्रयोग के निर्देश दिये हैं। नम्मा मेट्रो परियोजना का काम भी जल्दी से जल्दी पूरा करने पर जोर दिया जा रहा है। ताकि लोगो को जल्द से जल्ट मेट्रो सेवा मिल सके। जिससे वह निजी वाहनों को छोड़ मेट्रो से सफर कर सके।

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