जयपुर:12 बीमार बच्चों की मौत के बाद केंद्र सरकार को नींद खुली और आनन-फानन में सफदरजंग अस्पताल के डाक्टरों की टीम जयपुर भेजी गयी। सरकारी अनाथालय में उल्टी-दस्त और बुखार से 12 बच्चे दम तोड़ चुके हैं, अभी भी करीब 10 बच्चों की तबीयत नाजुक बताई जा रही है।

राज्य सरकार भी आई हरकत में

केंद्र की टीम के दौरे को देखते हुए राज्य सरकार ने सौ अधिकारियों का अमला अनाथालय में उतार दिया। ये लोग अनाथालय को साफ-सुथरा करने में जुटे हुए हैं। इसके बावजूद बच्चों की तबीयत बिगड़ने का सिलसिला नहीं थम रहा है। एंबुलेंस से बच्चों का अस्पताल जाना जारी है।

गंदा पानी पीने को मजबूर बच्चे 

अनाथालय में गंदा पानी पीने को बच्चे मजबूर हैं, लेकिन अफसर से लेकर सरकार को यह समझने में तीन दिन लग गए कि बच्चे क्यों मर रहे हैं।

अनाथालय में सुविधाओं का है अभाव

अनाथालय में किस तरह जानवरों की तरह इन बच्चों को रखा जा रहा है इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि कहीं नंगे बदन, तो कहीं फर्श पर बच्चों को लेते हुए देखा गया। एक बच्चे पर हर महीने 1990 रुपए खाने और स्वास्थ्य पर खर्च के लिए आता है।

सैंपल इकट्ठा कर रही केंद्र की टीम

बच्चों की मौत की वजह जानने के लिए दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के पांच डाक्टरों की टीम जयपुर पहुँच चुकी है। सफदरगंज अस्पताल के सीनियर डॉक्टर केसी अग्रवाल ने बताया कि वे लोग अभी सैंपल इकट्ठा कर रहे हैं, इसके बाद ही वो कुछ आगे बता पाएंगे।

दूषित खाने से बच्चों की मौत

जेके लोन अस्पताल के डॉक्टर पहले ही बता चुके हैं कि बच्चों की मौत दूषित खाना और पानी से हो सकती है।
लापरवाही के आरोप में अब तक सात अधिकारियों को सस्पेंड किया है।

लेकिन क्या लापरवाही की ये सजा काफी है जहाँ 12 बच्चों की जान चली गयी और कई बच्चों की स्थिति अभी भी नाजुक बनी हुई है।

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