JNU के तीन प्रोफेसरों पर  ग्रामीणों को धमकाने और नक्सलियों की मदद करने के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है। छत्तीसगढ़ पुलिस ने प्राथमिक जाँच में इन तीन प्रोफेसरों को जन सुरक्षा अधिनियम और देशद्रोह के अंतर्गत दोषी माना है।

इस मामले की पूरी तफ्तीश के बाद ही आरोपी प्रोफेसरों की गिरफ्तारी की जाएगी। मामला दर्ज करने से पहले पुलिस ने इन तीन प्रोफेसरों को अपना बयान देने के लिए कहा है।

ग्रामीणों ने पुलिस को लिखित शिकायत दी में प्रोफेसर अर्चना प्रसाद, ऋचा केशव और विनीत तिवारी का नाम लिया है और कहा है कि उन्होंने उनका ग्रामीणों के हाल-चाल पूछने के अलावा पुलिस और नक्सलियों की गतिविधियों के बारे में बात की। लेकिन जाते-जाते उन्होंने उन्हें धमकी दी की वे नक्सलियों का साथ नहीं दिया तो नक्सली उनके गांव को जला देंगे।

पुलिस ने ग्रामीणों के साथ हुई बातचीत रिकॉर्ड कर लिया है और प्राथमिक रूप से तीनों प्रोफेसरों के आचरण को भड़काऊ और गैरजिम्मेदार मानते हुए जाँच शुरू कर दी है। 

पुलिस के मुताबिक, 12 से 16 मई के बीच बस्तर के कुछ गांवों का दौरा करने वाले इन प्रोफेसरों ने आदिवासियों को नक्सलियों की मदद के लिए उकसाया और ऐसा ना करने पर गांव को जला देने की धमकी भी दी। गांव वालों द्वारा शिकायत के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस ने एक टीम गठित करके जाँच शुरू कर दी है।

बस्तर एसएसपी विजय पाण्डे ने बताया कि जेएनयू प्रोफेसर अर्चना प्रसाद और विनीत तिवारी नक्सलियों का साथ देने के लिए भड़का रहे थे। इन दोनों ने गांव वालों को गुमराह करने की कोशिश की और कहा कि केंद्र या राज्य सरकार कुछ नहीं कर सकती है केवल नक्सली ही गांव वालों की मदद कर सकते हैं। साथ ही कहा कि अगर ऐसा नहीं किया तो नक्सली उनके गांव को जलाकर तबाह कर देंगे।

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