आधार कार्ड भारतीय नागरिक की पहचान और कई सरकारी सुविधाओं को पाने का जरिया है। लेकिन यहाँ आधार कार्ड ने अपनों को बिछड़ों को मिलाने में भी मदद की है। जी हाँ, सही सुना आपने, यह कहानी है गुजरात के नर्मदा जिले की।

अपनों को बिछड़ों से मिलाया आधार कार्ड ने-

  • महाराष्ट्र के लातूर का रहने वाला एक बच्चा अपने परिवार से तीन साल बाद दोबारा मिला।
  • इस बच्चे का नाम है संजय।
  • 14 साल का संजय जन्म से बोलने और सुनने में असमर्थ था।

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  • तीन साल पहले भाई से झगड़ा होने के बाद संजय घर छोड़ कर चला गया था।
  • संजय की गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई थी लेकिन कुछ पता नहीं चल पाया था।
  • लेकिन संजय की किस्मत में अपने परिवार से दोबारा मिलना लिखा था।
  • संजय को वरोदरा पुलिस ने अकेले घुमते पाया।
  • लेकिन बोलने और सुनने में असमर्थ होने के चलते संजय से पुलिस को कोई जानकारी नहीं मिल सकी।
  • नर्मदा जिला प्रशासन ने संजय का दाखिला एक मूक-बाधिर स्कूल में कराया।
  • स्कूल में आधार कार्ड बनवाने का कैंप लगा।

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  • इस दौरान जब संजय का आधार कार्ड बनवाने की कोशिश की गई तो पता चला कि 2011 में उसका आधार कार्ड बन चुका है।
  • संजय को देखकर उनके भाई और उनकी मौसी की आंखे भर आई।
  • संजय की माता-पिता की मृत्यु के बाद उनकी मौसी ही उनके लिए सब कुछ है।

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