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भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बार फिर अन्ना अनशन पर

anna hazare goes on hunger strike again for lokpal bill

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लोकपाल के मुद्दे, भ्रष्टाचार के विरोध और किसानों की बदहाली पर अन्ना हजारे एक बार फिर दिल्ली के रामलीला मैदान में भूख हड़ताल पर है. उनके अनशन का आज पांचवा दिन है. पिछली बार की तुलना में इस बार रामलीला मैदान में प्रदर्शनकारियों की भीड़ कम है. लोगों का कहना है कि आन्दोलन में भाग लेने से प्रदर्शनकारियों को रोका जा रहा है.

नहीं होंगे अरविन्द केजरीवाल इस बार अन्ना हजारे के साथ

सात साल पहले का वह आंदोलन जिसने राजनीति और सत्ता में कई बड़े बदलाव ला दिए थे। उसकी याद शायद अब लोगो के ज़हन से धुंधली हो चुकी है। दिल्ली के राम लीला मैदान में अनशन पर बैठे उस बूढ़े से व्यक्ति ने न केवल राजनीति के सबसे ऊंचे सोपान पर बैठे सत्ताधारियों की कुर्सी हिला दी बल्कि आमजन में अहिंसा की शक्ति को स्पष्ट कर दिया।

किसन बाबू राव हजारे जिन्हें हम अन्ना हजारे नाम से जानते हैं, ने जब इस आंदोलन की शुरुआत की तब शायद ही किसी को अनुमान हो कि यह इतना बड़ा जनसैलाब बन जायेंगा।

भ्रष्टाचार और लोकपाल की मांगों को लेकर आंदोलन करने वाले अन्ना हजारे सात साल बाद फिर उसी मैदान में अनशन पर बैठे हैं। मांगे वहीं सात साल पुरानी है, भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए लोकपाल बिल लाना, किसानों के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करना और लोकायुक्त की नियुक्ति।

आंदोलन के बाद इन सात सालों में बहुत कुछ बदल गया है। सत्ता बदल गई, आंदोलन करने वाले बदल गए और सात साल पहले अन्ना के साथ खड़े रहने वाले आज खुद सत्ता में आ गये। अरविंद केजरीवाल, जिन्होनें अन्ना के आंदोलन में महत्वपूर्ण भुमिका निभाई थी, आज खुद की राजनैतिक पार्टी बना कर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हैं। उस समय के कई सहयोगी आज अलग अलग ही नही बल्कि धुर-विरोधी हो चुके हैं।

शायद इसका ही परिणाम हैं कि इस बार रामलीला मैदान का वह नजारा देखने को नहीं मिल रहा जो सालों पहले था। हालंकि कारण कुछ और भी हो सकता है। लगभग 1500 आंदोलनकर्ता दूर दूर से अन्ना को अपनी अपनी परेशानियां बताने और अन्ना के अनशन में सहभागिता देने के लिए वहां मौजूद हैं। पूछने पर बताते हैं कि और भी लोग इस आंदोलन में अन्ना का साथ देने के लिए दूर दूर से आ रहे है पर उन्हे आंदोलन में आने से रोका जा रहा है और आंदोलन का हिस्सा न बनने का दबाव डाला जा रहा है। हालांकि ऐसा दबाव कौन बना रहा है, इसका जवाब वह नहीं दे पा रहे थे। अन्ना से भी जब यह सवाल किया गया तो उन्होनें भी माना कि सरकार लोगों को आंदोलन में आने से रोक रही हैं। खाली पड़े मैदान से तो यहीं निष्कर्ष निकलता है। अरविंद केजरीवाल के इस आंदोलन में सहभागिता पर सवाल करने पर अन्ना हजारे ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री केजरीवाल अपनी पार्टी को बर्खास्त कर दे, तो आंदोलन में भाग लेने के लिए उनका स्वागत है।

वैसे अभी आंदोलन का पांचवा ही दिन है। आमजन जल्द ही अन्ना के आवाहन पर एक बार फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार को जनशक्ति दिखाने के लिए रामलीला मैदान में उमड़ आयेंगें। अन्ना को भी यहीं उमीद है कि इस बार जन समर्थन पिछली बार से भी ज्यादा होगा।

 

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