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अयोध्या विवाद: अधूरे अनुवाद पर SC ने टाली सुनवाई, अगली तारीख 14 मार्च

ayodhya dispute

राम जन्मभूमि विवाद पर आज से सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई होनी थी. सुप्रीम कोर्ट में दोपहर 2 बजे सुनवाई शुरू हो गई थी. इसके पहले कोर्ट ने कहा था कि अब अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद मुकदमें की सुनवाई रोजाना सुप्रीम कोर्ट में होगी. इसके लिए हिंदू और मुस्लिम पक्ष के वकीलों ने तैयारी पूरी कर ली है. 2.77 एकड़ भूमि का ये विवाद राजनीतिक अखाड़े का केंद्र भी है. इसके इर्द-गिर्द देश की राजनीति घुमती रही है.  इसके पहले कोर्ट ने कहा था कि 8 फरवरी के बाद सुनवाई नहीं टलेगी. सबसे पहले ओरिजनल टाइटल सूट दाखिल करने वाले दलीलें रखेंगे, फिर बाकी अर्जियों पर बात होगी. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि इसे भूमि विवाद की तरह ही देखा जाये. अनुवाद अधूरा होने के कारण फ़िलहाल सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 14 मार्च को सुनवाई के लिए टाल दिया है.

अयोध्या मामले में सुनवाई:

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली:

सुप्रीम कोर्ट ने किताबों के अनुवाद के लिये वक्त देते हुए अगली तारीख 14 मार्च तय की है. सभी दस्तावेजों का अनुवाद न होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने वक्त देते हुए सुनवाई टाल दी है.

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली विशेष पीठ ने सुन्नी वक्फ बोर्ड तथा अन्य की इस दलील को खारिज किया था कि याचिकाओं पर अगले आम चुनावों के बाद सुनवाई हो. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्‍यक्षता वाली तीन सदस्‍यीय बेंच इस मामले पर दोपहर 2 बजे से सुनवाई शुरू करेगी. मामले की सुनवाई से पहले बाबरी मस्जिद के पैरोकार इकबाल अंसारी ने कहा हैै कि अब सुलह की कोई संभावना नहीं है. वहीँ सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा है कि इस विवाद को भूमि विवाद की तरह ही देखा जायेगा. गौरतलब है कि रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विध्वंस विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था जिसकी सुनवाई आज से रोजाना होनी है.

2.77 एकड़ को बराबर बाँटने का हाई कोर्ट ने दिया था फैसला

30 सितम्बर 2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लखनऊ विशेष पूर्णपीठ के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में यह मुकदमा लम्बित है. उच्च न्यायालय ने विवादित भूमि को 3 भागों में बांटकर रामलला, सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा को बराबर दिए जाने का आदेश दिया था. यूपी शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड ने गत अगस्त में उच्चतम न्यायालय में शपथ पत्र दाखिल कर विवादित भूमि पर राममंदिर निर्माण कराने और लखनऊ के मुस्लिम बाहुल्य इलाके में मस्जिद-ए-अमन की तामीर कराई जाए.

5 दिसम्बर को हुई थी सुनवाई

मुस्लिमों की ओर से कपिल सिम्बल, डा. राजीव धवन, राजू रामचन्द्रन, शकील अहमद और सईद जैसे नामी गिरामी वकील न्यायालय में अपना पक्ष रखेंगे. निर्मोही अखाड़ा की ओर से एस़ क़े जैन, रंजीत लाल वर्मा, हिन्दू महासभा की ओर से हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन और रामलला विराजमान की ओर से पराशरण न्यायालय में अपना पक्ष रखेंगे. रामलला विराजमान पक्ष के वकील मदन मोहन पांडेय को यूपी सरकार ने सरकारी वकील नियुक्त कर दिया है. गत 5 दिसम्बर से उच्चतम न्यायालय में इस मामले की प्रतिदिन सुनवाई शुरु होनी थी. 5 दिसम्बर को न्यायालय ने इस पर सुनवाई करने के बाद कहा था कि अब प्रतिदिन सुनवाई 8 फरवरी से होगी. मुस्लिम पक्ष की 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद सुनवाई करने की दलीलों को न्यायालय ने खारिज कर दिया था.

कोर्ट के बाहर सुलह की कोशिशें हुई नाकाम

अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए श्री श्री रविशंकर सुलह की कोशिशें कर रहे थे. इसी को लेकर उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ और अन्य हिन्दू संगठन के नेताओं से लखनऊ में मुलाकात की थी. वहीँ श्री श्री रविशंकर अयोध्या में मुस्लिम पक्षकारों से मिलकर बात की थी लेकिन इस मुद्दे को लेकर बयानबाजी का दौर जारी है. श्री श्री ने स्पष्ट किया था अभी इस मामले में कोई प्रपोजल नहीं रखा गया है. उन्होंने कहा था कि दोनों पक्षों से बातचीत कर विवाद को सुलझाने की कोशिशें की जा रही है. सीएम योगी ने श्री श्री रविशंकर से मुलाकात को लेकर बयान दिया है.

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