उत्तराखंड में गढ़वाल के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित चारों धामों में सबसे प्रमुख बदरीनाथ धाम के कपाट आज सुबह श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया हैं। तड़के सवा तीन बजे से ही मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना के साथ कपाट खोलने की प्रक्रिया शुरू हो गयी थी। ब्रह्म मुहुर्त में ठीक साढ़े चार बजे भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोले गए। जिसके बाद गगनभेदी जयकारों के साथ भक्त अपनी आवाज बद्रीविशाल तक पहुंचाने की कोशिश में लग गए। बता दें कि अगले छः माह तक बदरीनाथ में भगवान के दर्शन से श्रद्धालु कृतार्थ होते रहेंगे।

छह माह तक खुले रहेंगे कपाट

सोमवार तड़के भगवान कुबेर और उद्धव जी ने मंदिर में प्रवेश किया। बदरीनाथ मंदिर के धर्माधिकारी भुवन चंद उनियाल ने बताया कि ब्रह्म मुहुर्त में कपाट खुलने के बाद अगले छह माह तक भगवान की पूजा का अधिकार श्रद्धालुओं को प्राप्त हो जाएगा। रावल ईश्वर प्रसाद नम्बूरी की उपस्थिति में टिहरी नरेश के राजपुरोहित और बामणी गांव के प्रतिनिधि मंदिर का ताला खोला गया। रावल और धर्माधिकारी मंदिर में प्रवेश कर भगवान बदरीविशाल के घृत कंबल का अनावरण किया। विशेष पूजा-अर्चना के बाद चार बजकर 30 मिनट पर भगवान के दर्शन का सिलसिला शुरू हो गया।

भक्तों को प्रसाद में दिए जाएंगे चौलाई के लड्डू

बता दें कि बद्रीनाथ धाम में टोकन की सुविधा की गई है। इसके साथ ही इस बार तीर्थयात्रियों को प्रसाद के रूप में चौलाई के लड्डू बाटें जाएंगे। धाम में अखंड ज्योति के दर्शनों के लिए 700 तीर्थयात्री बद्रीनाथ धाम में पहुंच चुके हैं।

सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम

बद्रीनाथ धाम में पहुंचने के लिए यात्रा-मार्ग को सरल बना दिया गया है। बदरीनाथ हाईवे पर लामबगड़ भूस्खलन जोन को छोड़कर अन्य जगहों पर हाईवे पूरी तरह से सुरक्षित है। वहीं इसके साथ-साथ धाम में 15 हजार यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था भी की गई है। इसके अतिरिक्त धाम में असहाय और गरीब लोगों के लिए खाने और रहने के लिए मुफ्त में व्यवस्था भी की गई है।

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