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‘पद्मावती’ के बारे में इस समय चर्चा ज़ोरों पर हैं. मशहूर निर्देशक संजय लीला भंसाली की आगामी फिल्म ‘पद्मावती’ को लेकर हुए बवाल के बाद सबके ज़ेहन में यह सवाल है कि कौन थी पद्मावती और क्या है इनकी कहानी. और क्यों इन्हें सीता का दर्ज़ा दिया जा रहा है.
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संपूर्ण क्षेत्र में प्रशंसनीय था ‘पद्मावती’ का सौंदर्य-
- रानी पद्मावती को पद्मनी के नाम से भी जाना जाता है.
- रानी पद्मावती सिंघल के राजा गंधर्व सेन और रानी चमावती की पुत्री थी.
- उनका विवाह चितौड़गढ़ के राजा रतन सिंह से हुआ था.
- पद्मावती का सौंदर्य संपूर्ण क्षेत्र में प्रशंसनीय था.
- उनकी सुन्दरता के चर्चे दूर-दूर तक थे.
- उनकी ख़ूबसूरती की चर्चे दिल्ली के समकालिक शासक अलाउदीन खिलजी ने भी सुना.
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सौंदर्य की चर्चा सुन अलाउदीन के मन में जगा लालच-
- रानी पद्मावती की सौंदर्य की चर्चा पर अलाउदीन के मन में नापाक इरादों में घर कर लिया.
- अलाउदीन खिलजी ने रानी पद्मावती को पाने के इरादे के साथ चितौड़ पर भारी सैन्य बल के साथ आक्रमण कर दिया.
- चितौड़ के किले को खिलजी के सैनिकों ने कठोर घेराबंदी कर दी.
- कई दिनों तक खिलजी की सेना चितौड़गढ़ के किले के बाहर पड़ी रही लेकिन किले के अंदर प्रवेश नहीं कर सके.
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पद्मावती को देखने की रखी मांग-
- थक कर सुल्तान खिलजी ने राजा रतन सिंह को सन्देश भेजकर पद्मावती को प्रत्यक्ष रूप से देखने की मांग रखी.
- राजा रतन सिंह ने राज्य की भलाई के लिए इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया.
- लेकिन रानी पद्मावती इसके लिए नहीं मानी.
- कोई भी पतिव्रता राजपुताना स्त्री किसी भी पुरुष के सामने प्रत्यक्ष रूप से नहीं शामिल हो सकती थी.
- तब एक बीच का रास्ता निकालते हुए यह तय हुआ कि सुलतान खिलजी रानी पद्मावती का प्रतिबिंब देख सकते है.
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प्रतिबिंब में देखा रानी पद्मावती को-
- तय समय पर रानी पद्मावती महल की सीढ़ियों पर आई और दीवार पर उनके प्रतिबिंब को सुल्तान खिलजी ने देखा.
- उनके प्रतिबिंब को ही देखकर सुल्तान खिलजी की लालच और बढ़ गई.
- सुल्तान खिलजी ने धोखे से राजा रतन सिंह बंदी बना लिया और रानी पद्मावती को संदेश भेजवाया.
- दिल्ली के सुल्तान खिलजी ने रानी के सामने शर्त राखी कि अगर वो खुद को सुलतान खिलजी को सौंप दे तो वो राजा रतन सिंह को छोड़ देंगे.
- रानी पद्मावती दुविधा में पड़ गई.
- इसके बाद उन्होंने एक संदेश सुलतान खिलजी को पहुँचाया.
- इसमें उन्होंने यह शर्त रखी कि उनके साथ उनकी सेविकाएं भी आयेंगी.
- सुल्तान खिलजी ने यह शर्त मान ली लेकिन उसे यह ख़राब नहीं थी कि यह पद्मावती की अपने पति को बचने के लिए एक तरकीब है.
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पालकी में थे राजपुताना सैनिक-
- पालकियों में चितौड़गढ़ से सेविकाओं के भेष में राजपुताना सैनिक और पालकी चालक के रूप में भी कुशल सैनिक थे.
- रानी पद्मावती ने अपनी जगह अपने भतीजी को भेजा.
- इस प्रकार चितौड़गढ़ के सैनिकों ने राजा रतन सिंह को सकुशल वापस ले आयें.
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रानी पद्मावती ने खुद को किया जौहर में समर्पित-
- अपनी हार से बौखलाया सुल्तान खिलजी ने चितौड़गढ़ पर आक्रमण कर दिया.
- इस युद्ध में राजा रतन सिंह वीरगति को प्राप्त हुए.
- तब चितौड़गढ़ की महिलाओं में खुद को जौहर में समर्पित करने पर सहमति बनाई.
- एक विशाल चिता जलाई गई उसमे रानी पद्मावती ने खुद को समर्पित कर दिया.
- इसके बाद चित्तौड़गढ़ की महिलायों ने एक-एक कर इस चिता में खुद को समर्पित कर दिया.
- इस प्रकार दिल्ली के सुल्तान का रानी पद्मावती को पाने का सपना चिता में जल गया.
- हालाँकि कुछ इतिहासकार का मानना है कि यह किरदार की काल्पनिक है.
- लेकिन रानी पद्मावती और उनके जौहर की कहानी आज भी लोगों के ज़ेहन में हैं.
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