बुधवार 22 नवम्बर को भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल के एक परीक्षण के बाद दुनिया में अपनी ताकत का लोहा मनवा दिया है, बुधवार को भारत ने सुखोई फाइटर जेट से ब्रह्मोस मिसाइल को दागकर सफल परीक्षण किया, गौरतलब है कि, आज तक दुनिया का कोई भी देश फाइटर जेट से सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को दागने की क्षमता नहीं रखता, जिसके बाद दुनिया में भारत के सैन्य हमले की काबिलियत कई गुना बढ़ गयी है। इसके साथ ही भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है, जो जमीन, समुद्र और हवा तीनों जगह से सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को दाग सकता है।

चीन-पाकिस्तान की चिंता बढ़ी, PM मोदी ने दी बधाई:

  • भारत ने बुधवार को ब्रह्मोस मिसाइल को सुखोई से दागकर दुनिया में इतिहास रच दिया है।
  • बुधवार के परीक्षण के बाद भारत दुनिया का पहला देश बन गया है, जो सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को जमीन, पानी और हवा कहीं से भी दाग सकता है।
  • भारत के इस कीर्तिमान से पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ गयी है।
  • परीक्षण के सफल होने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभी को बधाई दी।
  • जिसमें उन्होंने कहा कि, मैं ब्रह्मोस मिसाइल के सुखोई विमान से लांच किये जाने पर प्रसन्नता महसूस कर रहा हूँ।
  • इस उल्लेखनीय उपलब्धि में शामिल सभी लोगों को बधाई।

टारगेट के रास्ता बदल देने के बाद भी लगाती है अचूक निशाना:

  • ब्रह्मोस दुनिया की सबसे घातक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है।
  • जो टारगेट के रास्ता बदल देने के बाद भी टारगेट को मार गिराती है।
  • ब्रह्मोस मिसाइल अपनी टेक्नोलॉजी के जरिये दागे जाने के बाद भी अपना रास्ता बदल सकती है।
  • लक्ष्य तक पहुँचने से पहले अगर टारगेट रास्ता बदलता है तो ब्रह्मोस भी अपना रास्ता बदलकर अचूक निशाना लगाती है।

ये हैं ब्रह्मोस की कुछ खूबियाँ:

  • ब्रह्मोस भारत के DRDO और रूस के NPO मशीनोस्त्रोयेनिया का संयुक्त उद्दयम है।
  • इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्क्वा को मिलाकर रखा गया है।
  • यह मिसाइल कम ऊंचाई पर उड़ान भरती है, जिसके चलते राडार इसे पकड़ नहीं सकते हैं।
  • यह दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है।
  • अब इसे जमीन, पानी और हवा तीनों जगहों से दागा जा सकता है।
  • गौरतलब है कि, ब्रह्मोस के जमीन और पानी से दागे जाने के परीक्षण पहले ही हो चुके हैं।
  • ब्रह्मोस मिसाइल को पहले ही थल सेना और नौसेना में शामिल किया जा चुका है।
  • ब्रह्मोस का पहला सफल परीक्षण 12 जून, 2001 को किया गया था।
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