इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मुताबिक देश में लगातार ब्रेन ट्यूमर के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। आंकड़े बताते हैं कि हर साल करीब 40,000 से 50,000 लोगों में ब्रेन ट्यूमर की पहचान होती है, जिनमें से 20 प्रतिशत बच्चे होते हैं। साथ ही, हर साल लगभग 2,500 भारतीय बच्चों में मेडुलोब्लास्टोमा रोग पाया जा रहा है। जो कि एक घातक प्राथमिक ब्रेन ट्यूमर है।

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90 प्रतिशत का इलाज संभव

  • आईएमए के अनुसार, मेडुलोब्लास्टोमा बच्चों में पाया जाने वाला यह मस्तिष्क मेरु द्रव के माध्यम से फैलता है।
  • और मस्तिष्क व रीढ़ की हड्डी की सतह से होता हुआ अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता है।
  • यदि मरीज को सही इलाज मिल जाये, तो इन मामलों में से लगभग 90 प्रतिशत का इलाज संभव है।
  • अध्ययनों से पता चलता है कि मस्तिष्क ट्यूमर ल्यूकेमिया के बाद बच्चों में पाया जाने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है।
  • आईएमए के डॉक्टर्स बताते हैं मस्तिष्क क्षति किसी भी उम्र में हो सकती है।
  • इससे सोचने, देखने और बोलने में समस्याएं उत्पन्न हो सकती है।
  • ब्रेन ट्यूमर का एक छोटा सा हिस्सा आनुवंशिक विकारों से जुड़ा हुआ है।
  • बाकी लोगों को यह किसी विषाक्त पदार्थ के सेवन, मोबाइल तरंगों जैसी किसी अन्य कारण से भी हो सकता है।

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लेज़र ट्रीटमेंट भी है एक तरीका

  • ट्यूमर यदि ब्रेन स्टेम या किसी अन्य भाग में है, तो हो सकता है कि सर्जरी संभव न हो।
  • जो लोग सर्जरी नहीं करवा सकते उन्हें लेज़र ट्रीटमेंट या अन्य उपचार मिल सकता है।
  • इसके लक्षणों में प्रमुख है- बार-बार उल्टी आना और सुबह उठने पर सिर दर्द होना।
  • इसे जांचने में चिकित्सक कभी जठरांत्र रोग या माइग्रेन भी मान बैठते हैं।
  • उन्होंने कहा, मेडुलोब्लास्टोमा रोग से पीड़ित बच्चे अक्सर ठोकर खाकर गिर जाते है।
  • उन्हें लकवा भी मार सकता है। कुछ मामलों में, चक्कर आना, चेहरा सुन्न होना भी देखा गया है।
  • डॉक्टर्स की माने तो मेडुलोब्लास्टोमा से पीड़ित बच्चों के लिए सिर्फ दवाएं ही काफी नहीं होती।
  • यह सुनिश्चित करें कि ट्यूमर वापस तो नहीं आया, या कोई दुष्प्रभाव तो नहीं हो रहा।
  • अधिकांश बच्चों को इस बीमारी के इलाज के बाद ताउम्र चिकित्सक के संपर्क में रहना होता है।
  • बच्चों में कैंसर को रोकने के लिए रसायनों और कीटनाशकों के जोखिम से उन्हें बचाएँ
  • यह गर्भवती माताओं के लिए विशेष रूप से जरूरी है।
  • फलों और सब्जियों का सेवन करें और नियमित रूप से व्यायाम करें। धूम्रपान और मदिरापान से दूर रहें।

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