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खाकी के इस जाबांज से कांपते हैं बुन्देलखण्ड के डकैत 

Bundelkhand dacoits Trembling from this police officer

Bundelkhand dacoits Trembling from this police officer

अक्सर पुलिस का नाम आते ही लोगों के जेहन में उसका असंवेदशील चेहरा और बर्बरतापूर्ण रवैया सामने आता है, लेकिन यूपी पुलिस में आज भी ऐसे चेहरे हैं, जो अपराधियों के लिए ‘काल’ की तरह हैं। जिनके नाम का खौफ अपराधियों में है।

एक साल में ही उड़ा दिए डकैतों के होश:

यूपी पुलिस में जांबाज जवानों की कमी नही है, जिनके हौसले के सामने अपराधियों की हिम्मत दम तोड़ देती है । ऐसे ही बहादुर जवान हैं बुन्देलखण्ड के चित्रकूट जिले के सबसे संवेदनशील इलाके मानिकपुर थाने के तेजतर्रार थानाध्यक्ष साजिद अली खान। जिन्हें चित्रकूट जिले में नौकरी करते हुए सिर्फ दो वर्ष का समय हुआ है । सबसे खास बात ये है कि,  दारोगा जी को जंगलो में डकैतों के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए अभी हाल फिलहाल 1 वर्ष ही हुआ है लेकिन इतने कम समय में ही डकैतो से दर्जनो बार आमना सामना हुआ है । इन सभी मुठभेड़ों में साजिद अली खान ने डकैतों के होश उड़ा दिए। कई बार पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा सम्मान भी मिला। कई मेडल , कई प्रशस्ति पत्र। ईमानदारी से काम करने वाली उनकी इसी छवि ने उन्हें पूरे क्षेत्र का चहेता बना दिया है ।

कौन है साजिद अली खान :

दरोगा साजिद अली खान

ग्राम बारा थाना गहमर जिला गाजीपुर की वीर भूमि के रहने वाले साजिद अली खान के पिता स्व. जाकिर हुसैन खां भी एक बहादुर और ईमानदार पुलिस ऑफिसर थे। वो बिहार पुलिस में थे। सीतापुर ट्रेनिंग सेंटर से पास होने के बाद पहली पोस्टिंग में जनपद प्रतापगढ़ से लेकर इलाहाबाद में तैनात रहने वाले साजिद अली खान का शुरू से ही लक्ष्य रहा है ‘अपराध और अपराधियों का खात्मा’।

कई थानों में थानाध्यक्ष के पद पर तैनात रहने के बाद दो वर्ष पहले इनका ट्रांसफर चित्रकूट हुआ । शुरुआती एक वर्ष चित्रकूट के मैदानी भागों में तैनाती मिली और इसके बाद पिछले एक वर्ष से लगातार पाठा के अतिसंवेदनशील इलाकों में थानाध्यक्ष के पद पर तैनात रहने वाले साजिद अली खान मौजूदा समय में मानिकपुर थाने में थानाध्यक्ष के पद पर कार्यरत हैं ।

काम करने का स्टाइल सबसे अलग:

एक दरोगा के तौर पर कार्य करने वाले साजिद अली खान का काम करने का स्टाइल सबसे अलग है। अभी हाल ही दरोगा से इंस्पेक्टर हुए साजिद खान का यही स्टाइल उन्हें सबसे जुदा करता है। जनता से पुलिस के संवाद को जरूरी मानने वाले साजिद अली खान का मानना है कि एक पुलिस के रूप में हमारा कर्तव्य है कि किसी भी गरीब का हक न मारा जाये और हम उस गरीब कि पूरी मदद कर सकें।

एक प्रयास जो बड़ी मुहीम बन गई:

मारकुंडी क्षेत्र हमेशा से चित्रकूट जिले का अतिसंवेंदनशील इलाका रहा है। आदिवासी इलाकों में तो डकैत कभी भी आकर किसी को भी मारपीट कर चले जाते, बच्चियों व महिलाओं का बालात्कार, आम बात थी। डर की वजह से कोई मुंह नही खोलता था। ऐसे माहौल में साजिद अली खान की नियुक्ति मारकुंडी थानाक्षेत्र में बतौर थानाध्यक्ष हुई। लेकिन कम समय में ही उन्होंने वहां के लोगों को डर और खौफ के माहौल से बाहर निकाल दिया। साजिद खान ने डकैतो से सीधे मोर्चा लेना शुरू कर दिया और देखते ही देखते यूपी पुलिस के इस दरोगा से डकैत भी खौफ खाने लगे।

Uttarpradesh.org के रिपोर्टर अनुज हनुमत द्वेवेदी से बात करते हुए साजिद अली खान बताते हैं कि मारकुंडी थानाक्षेत्र के लखनपुरा पहाड़ में डकैतो से हुई मुठभेड़ सबसे खतरनाक थी। मुठभेड़ के दौरान हमारी और डकैतो की दूरी महज 50 मीटर थी। मुठभेड़ के दौरान मुझे कभी डर नही लगता। आज मैं मारकुंडी में नही हूँ लेकिन वहां के माहौल में काफी बदलाव आ गया है। अब यहाँ के लोग चैन से अपना जीवन यापन कर रहे हैं। डर और खौफ का माहौल न के बराबर है। रात को 2 से 3 बजे तक मैं ड्यूटी में रहता था और जंगलो में सूदूर बसे गाँवो में राउंड लगाकर आता था।

बुन्देलखण्ड के सबसे बडे इनामी डकैत बबुली कोल से सीधी भिड़ंत:

अभी तक साजिद अली खान और उनकी टीम की डकैत बबुली कोल गैंग से नौ बार मुठभेड़ हुई। डकैत बबुली कोल से सबसे बड़ी मुठभेड़ 24 अगस्त 2017 को मानिकपुर के निही चरैया में औदर के जंगलो में हुई। इस मुठभेड़ में पुलिस ने कई डकैतो को पकड़ा। गैंग के मुखिया बबुली कोल और हार्ड कोर मेम्बर लवलेश को गोली भी लगी लेकिन इस मुठभेड़ के दौरान पुलिस के दो दारोगाओं को भी गोली लग गयी। जिसमे एसआई जे पी सिंह शहीद हो गए। इसके बाद अभी कुछ दिन पहले ही पुलिस ने एक लाइव एकाउंटर के दौरान हुई मुठभेड़ में गैंग के एक और हार्डकोर मेम्बर शारदा कोल को मार गिराया। सजिद अली ने बताया कि कई वर्ष पुराने सरकारी असलहे बरामद किये हैं और दर्जनो डकैतो को पकड़कर बन्द किया है।

कुछ और पुलिस अफसर जिनसे  डरते है डकैत:

कुछ अधिकारियों के बारे में तो यहां तक कहा जाता है कि जिस जिले में उनकी पोस्टिंग होती है वहां से अपराधी दूसरे जिलों की ओर निकल लेते हैं। इन पुलिसवालों के दम पर सालों तक प्रदेश के अपराध पर अंकुश लगाने में सरकारें सफल रहीं।

यूपी में क्राइम कंट्रोल और अपराधियों को मार गिरानेवालों में आईपीएस नवनीत सिकेरा, आईपीएस अमिताभ यश, आईपीएस अखिल कुमार, सीओ राहुल श्रीवास्‍तव, इंस्‍पेक्‍टर विनोद सिंह सिरोही, इंस्‍पेक्‍टर जितेंद्र कालरा, इंस्‍पेक्‍टर जनार्दन दूबे, इंस्पेक्टर सुनील प्रताप, इंस्पेक्टर अनिरुद्ध सिंह जैसे कई पुलिस अधिकारी हैं जिनके नाम से यूपी क्या यूपी के आसपास के प्रदेशों के भी अपराधी कांपते हैं।

 

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