देश की सबसे बड़ी विमान कंपनी एयर इंडिया जल्द ही निजी हाथों में जा सकती है। लगातार घाटे में चल रही सरकारी विमान सेवा कंपनी एयर इंडिया केंद्र सरकार ने अपनी हिस्सेदारी बेचने का फैसला कर लिया है। गौरतलब है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हाल ही में इसके बिकने के संकेत भी दिये थे।

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टाटा ने दिखाई हिस्सेदारी खरीदने की ज्यादा दिलचस्पी :

  • एयर इंडिया की हिस्सेदारी खरीदने में सबसे ज्यादा दिलचस्पी टाटा ग्रुप ने दिखाई है।
  • खबर है कि टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखर पिछले हफ्ते इस सिलसिले में एयर इंडिया के अधिकारियों से मिल चुके हैं।
  • टाटा ग्रुप की विस्तारा एयरलाइंस और एयर एशिया में हिस्सेदारी है।
  • इन्हें न सिर्फ एविएशन इंडस्ट्री में अच्छा खासा अनुभव है, बल्कि टाटा ग्रुप का एयर इंडिया से पुराना नाता भी है।
  • टाटा ग्रुप के जेआरडी टाटा ने साल 1932 में इसकी शुरुआत की थी।
  • इस वजह से टाटा ग्रुप एयर इंडिया में सबसे ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहा है।

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कैबिनेट ने दी विनिवेश की मंजूरी :

  • बीते दिन प्रधानमंत्री की अगुवाई में हुई कैबिनेट की बैठक हुई।
  • जिसमें भारी कर्ज में डूबी एयर इंडिया में विनिवेश को मंजूरी मिल गई है।
  • देश की इस सबसे पुरानी एयरलाइन कंपनी में सरकार कितनी हिस्सेदारी बेचेगी औऱ कितनी अपने पास रखेगी, इसका फैसला जेटली की अगुवाई में मंत्रियों का समूह लेगा।

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50 फीसदी से ज्यादा हिस्सा नहीं बेचेगी सरकार :

  • खबरों के अनुसार सरकार एयर इंडिया में अपना 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सा नहीं बेचेगी।
  • बताया जा रहा है कि सरकार इसका मालिकाना हक अपने पास रखना चाहती है।
  • साथ ही ये भी संकेत मिल रहे है कि किसी भी विदेशी निवेशक को हिस्सेदारी नहीं बेची जाएगी।
  • खबरों के मुताबिक कंपनी के साथ एक भावनात्मक लगाव होने की वजह से सरकार की हिस्सेदारी किसी भारतीय कंपनी को बेची जा सकती है।
  • वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कैबिनेट की बैठक के बाद विनिवेश के फैसले का एलान किया है।

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भारी-भरकम खर्च से एयर इंडिया का चलाना कोई तुक नही :

  • वित्त मंत्री जेटली ने कहा था कि एविएशन मार्केट में एयर इंडिया की महज 14 फीसदी हिस्सेदारी है।
  • कहा कि 86 फीसदी उपभोक्ता निजी एयरलाइंस का उपयोग करते हैं।
  • ऐसे में इसे चलाने में भारी भरकम खर्च का कोई तुक नहीं बनता है।
  • कहा अगर एयर इंडिया के 55 हजार करोड़ में से आधी यानी करीब 27 हजार करोड़ की हिसेसदारी बाजार में बेच दी जाए तो उससे करीब 9 एम्स बन सकते हैं।
  • उन्होंने बताया कि एक एम्स की लागत अमूमन तीन हजार करोड़ आती है।
  • अगर इस पैसे से पांच एम्स बनाए जाएं तो देश में छह केंद्रीय विश्वविद्यालय भी बनाई जा सकती हैं।
  • एक केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने में अमूमन दो हजार करोड़ का खर्च आता है।

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लंबे समय से चल रही है विनिवेश की चर्चा :

  • एयर इंडिया के विनिवेश की चर्चा लंबे समय से चल रही है।
  • एयर इंडिया के बेड़े में 118 विमान हैं, जो 41 अंतरराष्ट्रीय औऱ 72 घरेलू उड़ानें भरते हैं।
  • एयर इंडिया पर 52 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है, जबकि इसके पास 26 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति है।

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