पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान कोयला ब्लॉक आवंटन में हुई धांधली में झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री को 3 साल की कैद के बाद आज सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने मामले की सुनवाई में महाराष्ट्र की एक कंपनी को दोषी करार दिया है. गौरतलब है कि इस घोटाले में सरकारी खजाने को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. इस घोटाले में कई बड़े मंत्रियों का नाम सामने आया था. बहरहाल आज ही दोषी कम्पनी को सज़ा सुनाई जा सकती है.

घोटाले ने 1.86 लाख करोड़ का हुआ था नुकसान:

महाराष्ट्र में कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में आज सुनवाई करते हुए सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने गोंडवाना इस्पात लिमिटेड और इसके निदेशक अशोक दगा को दोषी करार दिया है. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अशोक दागा ने आवंटन के लिए गलत तथ्यों को पेश किया था. अभी इस मामले पर सुनवाई जारी है, कयास लगाए जा रहे हैं कि अशोक दागा को कोर्ट आज ही सजा सुना सकती है.

मनमोहन सरकार में हुआ था घोटाला:

इस मामले में पूर्व प्रधानमंत्री भी जांच के दायरे में आये थे. un पर घोटाले को लेकर सवाल उठे थे. लेकिन पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सामने गलत तथ्य रखे गए. कोर्ट ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास यह मानने की कोई वजह नहीं थी कि तत्कालीन कोयला सचिव एच सी गुप्ता ने उनके समक्ष एक ऐसी कंपनी को मध्य प्रदेश में कोयला ब्लॉक आवंटित करने की सिफारिश की थी जो उस समय आवंटन के नियमों को पूरा नहीं करती थी.

झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री को 3 साल कारावास

गौरतलब है कि इससे पहले कोयला घोटाला मामले में अनियमितता के लिए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को अदालत ने तीन साल कारावास की सजा सुनाई थी. विशेष न्यायाधीश भरत पाराशर ने कोड़ा के करीबी सहयोगी विजय जोशी, पूर्व कोयला सचिव एच. सी. गुप्ता, झारखंड के तत्कालीन मुख्य सचिव ए.के.बसु को भी 3-3 साल कारावास की सजा सुनाई थी. इसके साथ ही अदालत ने कोड़ा और जोशी पर 25-25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.

कोयला मंत्रालय के 2 मंत्रियों को भी सजा

इस मामले में कोयला मंत्रालय के पूर्व सचिव एच.सी.गुप्ता और अन्य पूर्व अधिकारियों को कोयला घोटाला मामले में दो साल जेल की सजा सुनाई थी. दोषियों को कमल स्पॉन्ज स्टील एंड पॉवर लिमिटेड (केएसएसपीएल) से संबंधित मामले में यह सजा सुनाई गई थी. सीबीआई के विशेष न्यायाधीश भरत पारासर ने मध्य प्रदेश के थेसोगोरा बी/रूद्रपुरी कोयला ब्लॉक को गैर कानूनी तरीके से कमल स्पॉन्ज स्टील एंड पॉवर लिमिटेड को आवंटित करने के लिए यह सजा सुनाई थी.

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