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जजों की पीसी पर सियासत तेज, कांग्रेस ने कहा- खतरे में है लोकतंत्र

भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीश प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे. प्रेस कॉन्फ्रेंस जस्टिस जे चेलामेश्वर के घर में हो रही है. उनके साथ अन्य 3 जस्टिस रंजन गोगोई,जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरिन जोसेफ मौजूद,पहली बार सुप्रीम कोर्ट जजो ने मीडिया को संबोधित किया. सुप्रीम कोर्ट के 4 सिटिंग जज पहली बार सीटिंग प्रेस कांफ्रेंस के  जरिये कई बातें कहते दिखाई दिए.

 जजों की पीसी के बाद कांग्रेस ने जताई चिंता:

कांग्रेस के ऑफिसियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया और कहा गया कि जजों की प्रेस कांफ्रेंस बहुत ही गंभीर मसला है. जिस प्रकार सुप्रीम कोर्ट के संचालन को लेकर बात कही गई है वो चिंताजनक है, लोकतंत्र खतरे में है. जाहिर है इतिहास में पहली बार CJI से अनबन के बाद सुप्रीम कोर्ट के जजों ने मीडिया के सामने आकर अपना पक्ष रखा और उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए कि आगे उन्ही लोगों को कठघरे में खड़ा किया जाये, इसलिए ये जरुरी था कि जो बातें हैं वो बता दी जाएँ क्योंकि अब कोई विकल्प नहीं बचा था.

जजों की बातों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए: स्वामी

बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर अपनी प्रतिकिया दी. उन्होंने कहा कि हम इनकी आलोचना नहीं कर सकते हैं. सही मायने में ये सच्चे लोग हैं. स्वामी ने कहा कि चारों जजों ने जो मुद्दा उठाया उसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमें उनकी आलोचना नहीं करना चाहिए, वे सही मायने में सच्चे लोग हैं. स्वामी ने कहा कि उनका कानून के क्षेत्र में अहम योगदान है. वो चाहते तो वरिष्ठ वकील के तौर पर बहुत पैसा कमा सकते थे. हम सभी को इनका सम्मान करना चाहिए.

4 जजों की पीसी ने खड़े किये कई सवाल:

सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों की पीसी शुरू हुई. जुडिशरी के इतिहास में पहली बार अनियमितताओं को लेकर सवाल उठे. उन्होंने कहा कि SC का प्रशासन ठीक नहीं चल रहा है.जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हमने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखी है, उसमें तमाम बातों का जिक्र किया गया है.जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि हमने चीफ जस्टिस को समझाने की बहुत कोशिश की. आज दो महीनों में बने हालातों के कारण प्रेस कांफ्रेंस करनी पड़ रही है. हमने जजों के बारे में चीफ जस्टिस से शिकायत की थी. हम नहीं चाहते कि हम पर आरोप लगाए जाएं.  देश का लोकतंत्र खतरे में है. न्यायपालिका की निष्ठा पर सवाल उठे हैं.

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