पूरा देश जहाँ एक ओर कैश की किल्लत के चलते कशमकश में है, वहीँ भोपाल के किसान बच्चों की स्कूल फीस जमा कर पाने में असमर्थ हैं. जिसके बाद उन्होंने इस स्थिति से निपटने के लिए अनोखा समाधान निकाला है.

धान देकर पढ़ रहे बच्चे :

  • जहाँ एक ओर पूरा देश कैश की किल्लत के बीच कशमकश में उलझा हुआ है
  • वहीँ मध्यप्रदेश के ग्वालियर स्थित किसानो ने इस समस्या से निबटने का एक अनोखा हल निकला है
  • इन्होंने बतौर बच्चों की स्कूल फीस 45 क्विंटल धान स्कूल में जमा कर दिया है.
  • जिसे स्कूल मैनेजमेंट ने मंडी में बेचकर 58,500 रुपए का चेक प्राप्त किया है.
  • बता दें कि मध्यप्रदेश को दुनियाभर में धान के कटोरे के नाम से भी जाना जाता है.
  • खरीफ की फसलों में धान मुख्य फसल है.
  • राज्य के ज्यादातर गांव की ही तरह ग्वालियर जिले के किसान भी कैश की समस्या से जूझ रहे हैं.
  • ग्वालियर से 60 किलोमीटर दूर स्थित गांव गढोता के किसानों का भी कुछ ऐसा ही हाल था
  • उन्हें कुछ दिन पहले बच्चों के स्कूल से फी जमा कराने का रिमांइडर मिला था.
  • इसपर उन्होंने कहा कि नोटबंदी के कारण वह कैश जमा कर पाने में असमर्थ हैं.
  • जब तक मंडी में उनकी फसल नहीं बिक जाती वह फीस जमा नहीं कर पाएंगे.
  • कुछ दिन बाद ही उन्हें पता लगा कि मंडी में फसल बेचने पर भी उन्हें कैश नहीं चेक मिलेगा.
  • जिसके बाद एक किसान मदनलाल जाटव ने बताया ‘मेरा बेटा केजी में पढ़ता है’.
  • नोटबंदी के कारण हम उसकी फीस जमा नही कर पा रहे थे
  • ऐसे में मंडी में फसल बेचकर चेक लेना,
  • फिर बैंक की लंबी लाइनों में लगकर कैश मिलने का इंतजार करना लंबा होता.
  • स्कूल के डायरेक्टर बी.एल.सोनी के अनुसार ज्यादातर किसानों को तकरीबन 3,900 रुपए जमा कराने थे.
  • ऐसे में हर किसान ने स्कूल में तकरीबन 3 क्विंटल धान जमा करा दिया.
  • जिसके बाद स्कूल के डायरेक्टर में एकत्र हुए धान को भिटरवार मंडी में बेचा
  • उन्होंने बताया कि इस धान को बेचने के बाद 58,500 रुपए का चेक मिला.
  • जिसे स्कूल के अकाउंट में जमा करा दिया गया.
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