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आधुनिक युग में सीखने और अध्ययन के बीच का अंतर !

स्कूली शिक्षा का यह सीमित और बेहद रूढ़िवादी दृष्टिकोण जिसमें, एक बच्चे से सिर्फ यह उम्मीद रखी जाती है की वह अच्छे ग्रेड ले आये और अंत में किसी प्रवेश परीक्षा को पास करे जिससे उसे एक अच्छी नौकरी प्राप्त हो, उसे सीखने की प्रक्रिया में बच्चों की मदद नहीं कर रहा जो की उस समय शुरू हो जाती है जब उसकी स्कूली शिक्षा का आरम्भ प्री नर्सरी में होता है।

नर्सरी और किंडर गार्टन के बच्चों को प्रोजेक्ट दिए जाते हैं जिनके अच्छे या बुरे होने का आंकलन किया जाता है जिसे ज़ाहिर तौर पर उनके माता पिता के द्वारा तैयार किया जाता है। क्या यह सीखना हुआ? मैं अत्यंत प्रसन्न हुई यह जान कर की प्री नर्सरी, नर्सरी, किंडर गार्टन या, शायद पहली और दूसरी कक्षा तक मैं पूरी तरह यकीन से नहीं कह सकती कि फोनिक्स को शिक्षण में जोड़ दिया गया है। परन्तु जिस तरह इसे पढ़ाया जाता है वह निहायत ही गलत है। यदि फोनिक्स ठीक तरह सिखाई जा रही है तो २ वर्ष से लेकर काम से काम ४ वर्ष तक के बच्चे को पहले वाचन आना चाहिए। भारत में मैंने फोनिक्स और लेखन को साथ साथ सिखाते हुए देखा है जिसके फलस्वरूप बच्चे के दोनों कौशल, लेखन और वाचन कमज़ोर हो जाते हैं यदि आप उसी उम्र के किसी इंग्लैंड के बच्चे से उसकी तुलना करें तो। इसके साथ ही उसकी रचनात्मक क्षमता भी प्रभावित होती है और वह रुक जाती है। मैं एक बहुत बुरी शिक्षक हूँ (तथाकथित अच्छे शिक्षकों द्वारा) क्योंकि मैं पहली कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे को “cat” के स्थान पर “kat” लिखने पर भी पूरे नंबर दूँगी यदि वह एक अच्छी कहानी लिख कर लाता है जिसमें वर्तनी त्रुटियों की भरमार हो तो भी। क्या हैं यह त्रुटियाँ यदि आप उनकी तुलना एक उस बढ़िया सी कहानी से करते हैं जो ना केवल बच्चे को एक मज़बूत और आत्मविश्वासी विचारक बनाती हैं बल्कि उसे और मुझे बोनस में एक मुस्कान भी दे जाती है? क्या यह बच्चा तीसरी कक्षा में होगा तब भी त्रुटिपूर्ण लिखेगा?? या आज गूगल के युग में भी वह सारा जीवन त्रुटिपूर्ण लिखेगा?? निश्चित रूप से नहीं !!उसका सीखना उत्कृष्ठ होगा यदि उसे सीखने हेतु शिक्षा दी जाए ना की किताबों के अध्ययन हेतु। अध्ययन के लिए सीखना, सीखने के लिए अध्ययन से ज्यादा महत्वपूर्ण है।

पाठ्यक्रम का डिज़ाइन यहाँ असली अपराधी नहीं है, परन्तु शिक्षण निश्चित रूप से है। शिक्षण का सुधार बुनियादी स्तर से शुरू कर के बुनियादी स्तर पर होना चाहिए। शिक्षकों को शिक्षण “सीखना” होगा। एक छात्र, जो हम सभी हैं, जीवन के लिए जीवन से सीखें, क्यूंकी यह अच्छे ग्रेड पाने से ज्यादा महत्वपूर्ण है।

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