जैसा कि सब जानते हैं आज के समय में तकनीक से हाथ मिलाना कितना आवश्यक हो गया है. ऐसे में अब सरकारी कर्मचारी भी इसकी अहमियत समझते हुए तकनीक के साथ मिलकर कई ऐसे कमाल दिखा रहे हैं जो अब तक सरकार द्वारा नही सोचे गये हैं. ऐसा ही एक वाकया उत्तर प्रदेश से आ रहा है जहाँ एक IAS अधिकारी ने अपने क्षेत्र का जीवनस्तर बढ़ाने के लिए ना केवल एक ऐप बनाई बल्कि क्लाउड कंप्यूटिंग के ज़रिये शिक्षा को भी बढ़ावा दिया है.

ऐसे बनाया था फिरोजाबाद को साफ़ :

  • विजय करण आनंद 2009 के IAS बैच से हैं.
  • आनंद ने मल्टीनेशनल सिलिकॉन वैली की कंपनियाँ जैसे AMD और नेट ऐप्स में 7 साल काम किया है.
  • अपने कार्यकाल में आनंद ने कई ऐसे तकनीकीकरण किये हैं जिसके बाद फिरोजाबाद का जीवनस्तर बढ़ा था.
  • आपको बता दें कि आनंद ने फ़िरोज़ाबाद की जनता को नगर निगम से जोड़ने का काम किया था.
  • उन्होंने क्लीन एंड ग्रीन फिरोजाबाद अभियान भी चलाया था, जो पीएम मोदी के स्वच्छ भारत मिशन से पहले आया.
  • अपनी मोबाइल गवर्नेंस के चलते वे ना केवल नगर निगम पर अपनी नज़र रखते थे,
  • बल्कि एक कण्ट्रोल रूम के ज़रिये पूरे क्षेत्र में कूड़ा इक्कठा ना होने देने की कोशिश भी करते थे.
  • इसके अलावा उनके द्वारा नगर निगम की गाड़ियों पर GPS भी लगाया गया था.
  • यह गाड़ियों को ट्रैक करने की सुविधा देने के साथ ही क्षेत्र को साफ रखने में सहायक है.

nagar nigam firozabad

‘शिक्षागृह’ से बढ़ा है शिक्षा का स्तर :

  • फिरोजाबाद में अपने कार्यकाल के दौरान यह अधिकारी अपने क्षेत्र के बच्चों की शिक्षा के लिए भी सजग थे.
  • जिसके लिए उन्होंने क्लाउड कंप्यूटिंग का माध्यम अपनाया था.
  • आनंद के अनुसार यह बच्चे भारत का भविष्य हैं इसलिए इनकी शिक्षा में कोई कमी होना हमारी विफलता है.
  • इसलिए उन्होंने तकनीक से हाथ मिला शिक्षागृह परियोजना की शुरुआत की थी.
  • जिसके अंतर्गत मई 2015 में उन्होंने एक टेस्ट करावाया जिसमे कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों ने भाग लिया.
  • इसमें चार वर्ग A, B, C और D निर्धारित किये गये और इन बच्चों को उनके परिणाम के अनुसार इनमे बांटा गया.
  • जिसके बाद शिक्षकों को हर त्रिमास यूनिट टेस्ट करवाने के निर्देश दिए गये.
  • जिसमे बच्चों के प्रदर्शन पर उन्हें आगे बढ़ाना या अवनत किया जाना तय किया गया.
  • आनंद के इस कदम से फिरोजाबाद में शिक्षा का स्तर काफी बेहतर नज़र आने लगा था.
  • जिसके बाद उन्होंने इस नियम को बड़ी कक्षाओं में प्रयोग लाने का मन बनाया.
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