10 दिवसीय ‘गाँव बंद आन्दोलन’ के पहले दिन ही कई राज्यों की व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गयी. कहीं किसानों ने दूध बहा दिया तो कहीं सब्जियां फेंक दी. 22 राज्यों में होने वाले इस देश व्यापी आन्दोलन का असर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा हैं.

किसानों का 10 दिवसीय बंद:

भारतीय किसान यूनियन के नेतृत्व में किसानों में देश व्यापी आन्दोलन शुरू किया हैं. 1 जून से 10 जून तक होने वाली इस किसान हड़ताल का आज दूसरा दिन है.

इस आन्दोलन को सफल बनाने के लिए गांव गांव बैठक भी की गई थीं। इस दौरान किसानों से अपील की गई कि वे हड़ताल के दौरान फल-फूल, सब्जी और अनाज को अपने घरों से बाहर न ले जाएं और न ही वे शहरों से खरीदी करें और न गांवों में बिक्री करें।

कहीं दूध बहाया तो कहीं टमाटर फेंके:

पंजाब हरियाणा में किसानों में चक्का जाम कर दिया हैं. फरीदकोट में किसानों में सब्जी और फल की सप्लाई रोक दी हैं.

उत्तर प्रदेश के अमरोहा में भी किसानों में सड़कों पर टमाटर फेक दिए. वहीं मुरादाबाद में भी सब्जी और दूध की सप्लाई पर रोक लगा दी हैं.

मध्य प्रदेश में भी किसानों में दूध और सब्जियां शहर से बाहर भेजने से इंकार किया हैं.

मध्यप्रदेश में संवेदनशील जिले:

मध्य प्रदेश में किसानों कके इस आन्दोलन का असर सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा हैं. राज्य के कुछ जिलों के किसान आन्दोलन उग्र हैं, इनमें आगर-मालवा, खंडवा, खरगोन, ग्वालियर, छिंदवाड़ा, देवास, नरसिंहपुर, नीमच, बालाघाट, बुरहानपुर, भोपाल, मंदसौर, मुरैना, रतलाम, राजगढ़, रायसेन, शाजापुर, श्योपुर, सीहोर, हरदा और होशंगाबाद शामिल हैं।

मध्यप्रदेश पुलिस ने अंदरूनी रिपोर्ट में किसानों की सक्रियता के बाद इन्हें इस लिस्ट में शामिल किया है।

3 दिनों में ही होगी परेशानी:

माना जा रहा हैं कि अगर ये आंदोंलन इसी तरह बस 3 दिन ही चला तो कई राज्यों में सब्जी और दूध की किल्लत हो जाएगी. इस किल्लत का असर दिल्ली- एनसीआर में सबसे ज्यादा होगा. इसी के साथ सब्जियों के दाम भी बढ़ जायेंगे. 10 दिनों का ये आन्दोंलन 2 दिन और चला तो हरी सब्जियों के साथ दूध पर भी संकट गहरा सकता है.

किसान आंदोलन का कार्यक्रम

– किसान आंदोलन के पहले चरण में 1 से 4 जून तक गांवों में युवाओं के सांस्कृतिक कार्यक्रम और पुरानी खेल गतिविधियां होंगी।
– 5 जून को किसान धिक्कार दिवस के रूप में मनायेंगे, इसमें सरकार द्वारा किसानों के खिलाफ लिये गए फैसलों के बारे में चर्चा की जाएगी।
– 6 जून को श्रद्धांजलि के रूप में मनाया जायेगा, 6 जून को ही राहुल गाँधी की मंदसोर में सभा होनी है
– 8 जून को असहयोग दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
– 10 जून को भारत बंद रहेगा।

इस कारण कर रहे किसान आन्दोलन

बता दें, किसान स्वामीनाथन कमीशन को लागू करने और कर्ज माफ करने समेत कई अन्य मांग कर रहे हैं। जिसको लेकर हड़ताल का ऐलान किया था। किसानों के इतने लंबे हड़ताल की वजह से लोगों की मुश्किलें तो बढ़ने वाली है।

इतना ही नहीं सरकार के लिए भी मुश्किल पैदा होगी। गौरतलब है कि पिछले साल मध्यप्रदेश के मंदसौर से किसान आंदोलन की चिंगारी उठी थी।

मंदसौर में फसलों के दाम बढ़ाने की मांगों को लेकर किसान आंदोलन कर रहे थे, उसी दौरान पुलिस ने गोलियां चला दीं थीं, जिसमें 6 किसानों की मौत भी हो गई थी।

गांव बंद के ऐलान के बाद पंजाब के किसानों ने सड़कों पर फेंकी सब्जियां

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