भारत का बजट कैसे बनता है और इसे कौन बनाता है। इस प्रक्रिया में कौन-कौन शामिल हैं और किस प्रिटिंग प्रेस में इसकी छपाई होती है। बजट की सूचनाएं लीक न हों, इसके लिए क्या इंतजाम किये जाते हैं। आपको पांच प्वाइंट्स में बताते हैं पूरी प्रक्रिया।

1 फरवरी को देश का आम बजट (Union Budget 2018 ) आने वाला है। आम आदमी की भाषा में कहें तो बजट वह है जिससे घर का खर्चा-पानी चलता है, बचत की जाती है और पर्व-त्योहार पर दिल खोल के खर्च किया जाता है। जरा सोचिए, एक घर के खर्चे को चलाने के लिए जिस बजट पर इतनी माथा-पच्ची की जाती है, तो पूरे देश के बजट को बनाने में कितना समय और दिमाग लगाना पड़ता होगा!

भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अधीन एक डिवीजन है– इकोनॉमिक अफेयर्स, और इसके अंदर एक विभाग है– बजट डिविजन। यह बजट डिविजन ही है जो हर साल भारत सरकार के लिए बजट बनाता है। बजट बनाने की प्रक्रिया प्रति वर्ष अगस्त-सितंबर माह में शुरू हो जाती है। इस प्रक्रिया को और बजट के प्रारूप को बहुत ही गोपनीय रखा जाता है।

How Union Budget 2018 is formulated

1) वित्त मंत्रालय आम बजट के लिए काफी पहले से तैयारी करना शुरू कर देता है। मंत्रालय सबसे पहले विभिन्न विभागों से उनकी कमाई और खर्चे पर एक ब्यौरा जुटाना शुरू करता है।

2) बजट से पलहे इंड्रस्टी, अर्थशास्त्रियों, ट्रेड यूनियनों, कृषि से जुडे लोगों और राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ पिछले साल नवंबर से बातचीत शुरू की। यह बातचीत दिसंबर और इस साल जनवरी में भी जारी रही। इस बजट पर प्रधानमंत्री कार्यालय की नजर रहती है।

3) बजट दस्तावेजों की छपाई गुप्त तरीके से नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में बने सरकारी प्रिटिंग प्रेस में होती है। यहां सीसीटीवी कैमरों और इंटेलीजेंस ब्यूरो की निगरानी में छपाई का काम होता है। इस चलते ही दिसंबर में वित्त मंत्रालय ने दिसंबर में मीडिया की नार्थ ब्लॉक में एंट्री बंद कर दी थी।

4) बजट तैयार करने वाले अधिकारियों को एक हफ्ता पहले से किसी से भी संपर्क नहीं करने दिया जाता। ये इसलिए किया जाता है ताकि बजट की कोई जानकारी लीक ना हो।

5) बजट से दो दिन पहले प्रेस इंफोरमेशन ब्यूरो के अधिकारी बजट की स्पीच तैयार करते हैं। इस टीम में सरकार की पब्लिक रिलेशन विंग और प्रेस इंफोरमेशन ब्यूरों के 20 अधिकारी शामिल होते है। ये अधिकारी अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू में प्रेस रिलीज तैयार करते हैं। जब तक वित्त मंत्री बजट स्पीच नहीं पढ़ लेते तब तक इन अधिकारियों को जाने की अनुमति नहीं दी जाती। इतना ही नहीं कैबिनेट को भी संसद में बजट पेश करने से 10 मिनट पहले बजट की कॉपी दी जाती है।

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