गुजरात दंगों के दौरान हुए गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड के 24 दोषियों की सजा पर फैसला सोमवार को भी टल गया। अब अहमदाबाद की विशेष अदालत आगामी 17 जून को सभी दोषियों की सजा का ऐलान करेगी। इससे पहले कोर्ट मामले में आरोपी 36 लोगों को बरी किया था, जबकि 24 को दोषी बनाया गया है।

विशेष अदालत ने जिन 24 लोगों को दोषी करार दिया है उनमें 11 को हत्या का दोषी माना है और इनको सजा सुनाई जाएगी। हालांकि विशेष कोर्ट ने अपने दिए गए फैसले में दंगों के पीछे किसी साजिश की बात नहीं मानी।

इस मामले में एसआईटी ने 66 आरोपियों को नामजद किया था, जिनमें से 9 आरोपी पिछले 14 साल से जेल में हैं, इनमें से चार की पहले ही मौत हो चुकी है। जबकि बाकी आरोपी जमानत पर रिहा हैं। 2002 में दंगों के वक्त भी बिपिन पटेल निगम पार्षद थे। पिछले साल उन्होंने लगातार चौथी बार जीत दर्ज की। विशेष अदालत ने बिपिन पटेल को बरी कर दिया है।

पिछली दो सुनवाइयों में सजा सुनाने से पहले कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों की अंतिम दलीलें सुनी थीं, जिसमें सरकारी वकील और पीड़ितों के वकील ने दोषियों को ज्यादा से ज्यादा सजा सुनाने की अपील की थी, जबकि दोषियों के वकील ने कम से कम सजा देने की मांग की।

मालूम हो कि पहले 6 जून को सजा का ऐलान होना था लेकिन कोर्ट ने जिरह पूरी न हो पाने की वजह से बाद में फैसला सुनाने के लिए 9 जून की तारीख तय की थी। हालांकि उस दिन भी सजा का ऐलान नहीं किया जा सका।

क्या है गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार?

बता दें कि 27 फरवरी 2002 को गोधरा में ट्रेन में कुछ लोगों ने आग लगा दी जिससे 59 लोगों की जिंदा जलकर मौत हो गई थी। इसके बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे और सैकड़ों लोगों की जानें गयी थी। इन दंगो के दौरान ही दंगाइयों ने 28 फरवरी, 2002 को 29 बंगलों और 10 फ्लैट वाली गुलबर्ग सोसाइटी पर हमला कर दिया, जिसमें कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी समेत 69 लोगों की जान गई थी। जबकि 39 लोगों की लाशें ही बरामद हो पाई थी। बाकी 30 को कोई जानकारी न मिलने पर 7 साल बाद मृत मान लिया गया। इस दंगे में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की भी मौत हुई थी. हमले में जाफरी सहित 69 लोगों की जान गई थी

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