समाजवादी पार्टी में चल रही कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। 2019 के लोकसभा चुनावों के पहले पार्टी में ऐसा होना सपा को बड़ा झटका दे सकता है। हालाँकि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव हमेशा से पार्टी में सब कुछ ठीक और सामान्य होने का दावा करते हुए दिखाई देते हैं मगर फिर भी उनकी पार्टी के नेता आपस में किसी न किसी मौके पर उलझते हुए दिखाई दे जाते हैं। कुछ ऐसा ही नजारा एक बार फिर से दिखाई दिया है जिसके बाद सपा में हड़कंप मच गया है।

जिलाध्यक्ष ने दिया इस्तीफ़ा :

उत्तर प्रदेश से बाहर निकल कर समाजवादी पार्टी ने अपने सियासी वजूद की तलाश शुरू कर दी है। उत्तराखंड राज्य में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए सपा ने अपने संघटन को मजबूती देना शुरू कर दिया है। मगर सपा उत्तर प्रदेश में दिख रही कलह वहां पर दिख रही है। सपा के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह रावत हरिद्वार के सपा जिलाध्यक्ष मोहम्मद इरफ़ान के नगला इमरती कार्यालय पर प्रेस कांफ्रेंस करने वाले थे मगर ऐन मौके पर प्रदेश अध्यक्ष नहीं पहुंचे। इस घटना से गुस्साए हरिद्वार के जिलाध्यक्ष ने अपने पद पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया। उनके साथ ही पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता जितेंद्र मलिक ने इस्तीफा दे दिया। पदाधिकारियों ने सपा प्रदेश अध्यक्ष पर राज्य में पार्टी को कमजोर करने का आरोप लगाया है।

सपा प्रदेश अध्यक्ष ने दी सफाई :

हरिद्वार के सपा जिलाध्यक्ष के इस्तीफा देने के बाद सपा प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह रावत ने कहा कि वह हरिद्वार देहात के दौरे पर आए थे जहाँ पर उन्हें रिसीव करने के बाद जिलाध्यक्ष कहीं दिखाई नहीं दिए। इसके बाद वह एक कार्यकर्ता के घर गए और वहां से एक अंतिम संस्कार में चले गए थे। ये पूरी घटना गलतफहमी में हुयी है। सपा जिलाध्यक्ष का इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है। सपा जिलाध्यक्ष इतने गुस्से में थे कि उन्होंने अपनी गाड़ी में लगी जिलाध्यक्ष की नेम प्लेट हटा दी। पार्टी कार्यालय में लगा पार्टी का बोर्ड भी हटा दिया।

 

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