दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को 21 संसदीय सचिवों की नियुक्तियां रद्द कर दी है। इसके साथ ही इन सचिवों की सदस्यता जाने का खतरा और बढ़ गया है क्योंकि अदालत ने उनके पदों को लाभ का पद माना है। शुरुआत से ही आम आदमी पार्टी की सरकार का अपने 21 व‌िधायकों को संसदीय सचिव का पद दिया जाना विवादों में रहा है।

क्या है मामला?

  • 13 मार्च, 2015 को दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को मंत्रियों के संसदीय सचिव बनाने की घोषणा की।
  • केजरीवाल ने पिछले वर्ष अपने 21 विधायकों को मंत्रियों का संसदीय सचिव नियुक्त किया था।
  • इसके बाद जून, 2015 में केजरीवाल सरकार ने दिल्ली विधानसभा में इस बाबत कानून में संशोधन भी किया।
  • इस बीच यह मामला चुनाव आयोग में भी पहुंच गया।
  • आयोग ने दिल्ली सरकार से पूछा था कि वह बताएं कि यह पद किस तरह से लाभ के पद के दायरे में नहीं आता।
  • लाभ का पद होने के कारण क्यों न उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी जाए?

विधानसभा में मिला है दफ्तरः

  • आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों ने पहले दावा किया था कि उनको संसदीय सचिव के तौर पर कोई ऑफिस नहीं मिला है।
  • लेकिन बाद में ये बात साफ़ हो गई कि विधायकों को संसदीय सचिव के तौर पर विधानसभा के अंदर दफ़्तर के लिए कमरे मिले थे।
  • इस बात को विधानसभा रामनिवास गोयल ने माना और कहा कि हां कमरे उन्होंने ही दिए हैं।
  •  ये लाभ के पद के दायरे में नहीं आते क्योंकि ये सरकार ने नहीं विधानसभा ने दिए हैं।

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केन्द्र ने दिया संविधान का हवालाः

  • इससे पहले, केंद्र ने कहा कि कानून के मुताबिक दिल्ली में 21 संसदीय सचिव नहीं रखे जा सकते हैं।
  • मौजूदा कानून में केवल एक संसदीय सचिव रखने का प्रावधान है, जो कि मुख्यमंत्री के अंतर्गत काम करेगा।
  • मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा की खंडपीठ के समक्ष जसमीत सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से पैरवी की।
  • जसमीत सिंह ने कहा कि संसदीय सचिव के पद का जिक्र न तो भारत के संविधान में किया गया है।
  • ना ही दिल्ली विधानसभा सदस्य अधिनियम 1993 में इस बारे में कुछ कहा गया है।
  • नियम के मुताबिक दिल्ली के मुख्यमंत्री को केवल एक संसदीय सचिव रखने का अधिकार प्राप्त है।
  • केजरीवाल सरकार विधानसभा सदस्य अधिनियम को संशोधित करने का प्रयास कर चुकी है।
  • लेकिन राष्ट्रपति ने इसे खारिज कर दिया था।

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