भारत और पाकिस्तान हालहीं में अपने अपने अपने डिप्लोमैट्स के साथ दुर्व्यवहार को लेकर एक दुसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते हुए चर्चा में रहे है. पर अब दोनों देशो ने तनाव कम करने के उदेश्य से एक नई पहल करने की कोशिश में बीच का रास्ता निकाला है. भारत ने पाकिस्तान को एक प्रस्ताव भेजा है जिसमें भारतीय नागरिक जो पाकिस्तान की जेलों में कैद है, उनके स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं की जाँच और इलाज के लिए भारत से डॉक्टर्स की एक टीम भेजेंगे.

सुषमा स्वराज ने रखा पाकिस्तान के सामने प्रस्ताव:

भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अगस्त 2017 में पाकिस्तान के पास ये प्रस्ताव भेजा था. जिसमे दोनों देशों की जेलों में बंद उनके नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करवाई जाने की बात कही गयी थी. जिसके बाद पाकिस्तान की तरफ से भी इस प्रस्ताव पर सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली.

इस प्रस्ताव में पाकिस्तान में कैद भारतीय बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों और मानसिक पीड़ित कैदियों की जाँच के लिए 20 डॉक्टर्स का दल पाकिस्तान जाना है. दोनों देश जल्द ही डॉक्टर्स को वीजा दे सकते है. हालाँकि पाकिस्तान अभी भारत के सभी डॉक्टर्स को वीजा देने से आनाकानी कर रहा है.

भारत हमेशा से ही पाकिस्तान से अपने रिश्ते सुधारने की दिशा में प्रयासरत रहता है. इसी दिशा में भारत ने पाकिस्तान के सामने चार शर्ते रखी हैं. इन शर्तो में पहली शर्त भारतीय राजनायकों के साथ होने वाले बुरे बर्ताव पर रोक लगाना, इस्लामाबाद में भारतीय रेजिडेंशियल काम्प्लेक्स बनाना, उच्चायुक्त अजय बिसारिया को इस्लामाबाद से बाहर जाने की अनुमति देना और भारतीय डिप्लोमैट्स को इस्लामाबाद क्लब में सदस्यता देना शामिल है.

भारत के इस प्रयास और पाकिस्तान की सहमती के बाद दोनों देशों के कैदियों में स्वदेश वापस लौटने की उमीद भी जागी है. इसीलिए जरूरी यह भी है कि भारत बीमार कैदियों का परीक्षण करवाने के बाद उन्हें स्वदेश लाने की दिशा में प्रयास करें. साथ ही भारत पाकिस्तान रिश्तों में सुधार की दिशा में पकिस्तान भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पूरी रूचि ले.

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