नई दिल्ली : सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने एक टीम बनाकर स्टडी करने का आदेश दिया है जिसके अन्तर्गत भारतीय सेना में नॉन कॉम्बेट सेक्शन कर्मचारियों की संख्या कम करने पर विचार किया जायेगा।

खबर के अनुसार, इस फैसले का मुख्य कारण खर्च कम करना और सेना को सही आकार में लाना है। साथ ही आर्मी चीफ ने अपने एक सीनियर मोस्ट जनरल को इस पर अगस्त तक अपनी सिफारिशें देने के लिए कहा है।

रिटायर्ड जनरल फिलिप कैम्पोस का कहना है कि कॉम्बेट और नॉन कॉम्बेट स्टाफ के अनुपात को समझना और सेट करना आसान काम नहीं है इसके लिए टीम बनाकर विश्लेषण करने की जरुरत है और ये काम अगस्त तक पूरा सकता है।

अफसरों की भारी कमी से जूझ रही है सेना 
जनरल कम्पोस के बयान के आधार पर, सेना की एक डिवीजन में 14 हजार जवान होते हैं और उन्हें सपोर्ट देने के लिए 3 हजार लॉजिस्टिक स्टाफ रहता है। स्टडी में इस बात पर फोकस होगा कि लॉजिस्टिक सपोर्ट को कम करके भी उसका बेहतर इस्तेमाल कॉम्बेट फोर्स के लिए किया जाए। सेना में करीब 9631 अधिकारियों की कमी है। सेना ने पहले ही जवानों की संख्या में कटौती कर रखी है।

बता दें कि पीएम नरेन्द्र मोदी ने पांच महीने पूर्व सेना के अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान कहा था कि आधुनिकीकरण और सेना को एक साथ बढ़ाना मुश्किल काम है और गैर जरूरी लक्ष्य है।

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