इराक में 2014 में आईएस आतंकियों द्वारा कत्ल किए गए 39 भारतीयों में से 38 के अवशेष सोमवार को अमृतसर एयरपोर्ट पर लाए गए. एयरफोर्स के जवानों ने मृत भारतीयों को सलामी भी दी. इनमें 27 पंजाबियों के अवशेष हैं. 4 को हिमाचल के कांगड़ा भेजा गया, जबकि 6 बिहार के रहने वाले थे.

क़ानूनी तरीके से गये होते तो बच गये होते:

विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह इराक से 38 भारतीयों के अवशेषों को लेकर स्वदेश वापस आ गये.उन्होंने सभी भारतीओं के अवशेष उनके परिजनों को सौंप दिए. इस दौरान कई बातें सामने आई, जैसे कि पांच साल पहले इराक गये ये भारतीय गैरकानूनी तरीके से इराक गये थे. इसके अलावा पंजाब सरकार पिछले 4 सालों से मृतको के परिजनों को 20 हजार रुपये पेंशन दे रही थी. इस बारे में कुछ बातें आप भी  जान ले.

गैरकानूनी तरीके से गये थे इराक:

विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने बताया कि मारे गये इन 39 भारतीयों की जानकारी विदेश मंत्रालय के पास नहीं थी. ये लोग गैरकानूनी तरीके से विदेश गए थे. इन 39 भारतीयों की जानकारी होती या वे लीगल तरीके से गए होते तो उन्हें बचाया भी जा सकता था.

सरकार का मृतकों के अवशेष न देखने देने पर परिजनों में आशंका:

केंद्र सरकार ने मारे गए भारतीयों के शवों के ताबूत न खोलने का आदेश दिया है. परिजनों ने सरकार के इस आदेश पर आशंका जताई है. उन्होंने कहा कि वो इस बात पर कैसे यकीन करें कि ये शव उनके अपने लोगों के ही हैं? हालांकि विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह का कहना है कि भारतीयों के शवों को डीएनए टेस्ट के बाद ही भारत वापस लाया गया है. दरअसल, केंद्र सरकार ने आदेश दिया है कि अवशेष के ताबूत न खोले जाएं, क्योंकि उसमें कई प्रकार की गैसें हैं, जो इंसान के लिए घातक साबित हो सकती हैं. सरकार के इस आदेश के बाद मृतकों के परिजनों ने कहा कि इस आदेश के बाद उनको सरकार के ऊपर शक है. उनका कहना है कि वो इस पर कैसे विश्वास करें कि जो अवशेष मिले हैं, वो उन्हीं के परिजनों के ही हैं?

पंजाब सरकार ने किया मुआवजे का एलान:

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की जगह पहुंचे कैबिनेट मिनिस्टर नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब सरकार की तरफ से 27 पंजाबी परिवारों को 5-5 लाख रुपए देने का एलान किया. इसके साथ ही हर परिवार के एक सदस्य को उनकी योग्यता के मुताबिक, नौकरी देने का भी ऐलान किया. सिद्धू ने बताया कि पिछले चार सालों से पंजाब सरकार की तरफ से इन पारिवारिक सदस्यों को 20 हजार रुपए पेंशन दी जा रही है. अब इन परिवारों को केंद्र सरकार के साथ मिलकर रीहेबिलिटेट करने की कोशिश की जाएगी. उन्होंने स्पष्ट किया कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पहले भी केंद्र सरकार को लिखा था कि पंजाबियों से पहले मरने वाले भारतीय हैं और विदेशी जमीन पर उनका देहांत हुआ है, इसलिए सबसे पहले इन परिवारों को संभालने की जिम्मेदारी उनकी बनती है.ले

परिजनों ने किया अवशेष लेने से मना:

वहीं दूसरी ओर बिहार के दो परिवारों ने शव लेने से मना कर दिया. इन दोनों मृतकों के परिजनों का कहना है कि बिहार सरकार ने मृतकों के परिवार वालों को पांच पाच लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है, जो नाकाफी है. मृतक की पत्नी पूनम देवी ने कहा कि उनके दो छोटे-छोटे बच्चे हैं. पति के मौत के बाद उन्हें परिवार चलाने में काफी दिक्कत हो रही है. इसी वजह से उन्होंने मांग की कि जब तक उन्हें नौकरी नहीं मिल जाती है, तब तक वह अपने पति के अवशेष को स्वीकार नहीं करेंगी. दूसरे परिवार ने भी बिहार सरकार से पंजाब की तर्ज पर मुआवजे और एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की.

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