मालेगांव विस्फोट मामले में विशेष अदालत ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की जमानत याचिका ख़ारिज कर दी। विशेष अदालत ने NIA की ये कहते हुए खिंचाई की है कि उसने साध्वी प्रज्ञा से जुड़े मामले की जांच नहीं की है और एटीएस ने गवाहों के जो बयान दर्ज किये थे उसके आधार पर जांच को आगे बढ़ाने के लिए जरुरी कार्यवाही भी नहीं की।

साध्वी प्रज्ञा आठ साल से मालेगांव बम धमाके के आरोप में जेल में बंद हैं और इस मामले में जांच कर रही NIA ने इसी साल दायर अपनी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में साध्वी सहित 6 आरोपियों को क्लीन चिट दे दी थी।

एनआईए से क्लीन चिट मिलने के बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर उज्जैन कुंभ में मुक्ति की डुबकी लगाने गई थीं। जमानत के लिए विशेष अदालत में याचिका भी दी थी साध्वी ने लेकिन मालेगांव विस्फोट मामले में उन्हें अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया।

इस पुरे घटनाक्रम के बाद साध्वी के वकील ने विशेष अदालत में जमानत की अर्जी दी थी। धमाके में मारे गए बिलाल के पिता सैयद निसार अहमद ने इस मामले में दखल देने का आवेदन देते हुए ज़मानत याचिका का विरोध भी दर्ज कराया था।

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इससे पहले के घटनाक्रम में, एटीएस के अनुसार गवाह ने बयान दिया था कि धमाके के सिलसिले वो अभिनव भारत की मीटिंग में गया था, लेकिन अब एनआईए को दिए गए बयान में वो मुकर गया है और उसका कहना है कि एटीएस के दबाव उसने ये बयान दिया था।

बता दें कि 29 सितंबर 2008 को मालेगांव बम ब्लास्ट में 4 लोगों की मौत हुई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। महाराष्ट्र एटीएस ने तब अपनी तहकीकात के आधार पर साध्वी प्रज्ञा और सेना से जुड़े कर्नल पुरोहित को गिरफ्तार किया था।

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