सेवा एवं वस्तु कर (जीएसटी) को देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बेहतर कदम बताए जाने के बावजूद कांग्रेस ने आज स्पष्ट किया कि वह इससे संबंधित कानून में कर की मानक दर 18 % से अधिक न रखे जाने की अपनी मांग पर कायम रहेगी! साथ ही कहा था कि अगर सरकार इस दर को नियंत्रित करने में सहमति जाहिर करती है तभी कांग्रेस समर्थन देगी।

राज्य सभा में 203 मतों के साथ बिल पास हो गया!

वित्त मंत्री अरूण जेटली ने राज्य सभा पे जीएसटी पर बोलते हुए इसे ऐतिहासिक सुधार बताया।

उन्होंने कहा कि-

  • जीएसटी का विचार वर्ष 2003 में केलकर कार्य बल की रिपोर्ट में सामने आया था।
  • वर्ष 2005 में तत्कालीन वित्त मंत्री ने आम बजट में जीएसटी के विचार को सार्वजनिक तौर पर पेश किया।
  • वर्ष 2009 में जीएसटी के बारे में एक विमर्श पत्र भी पेश किया गया।
  • राज्य के वित्त मंत्रियों की एक अधिकार संपन्न समिति बनाई थी।
  • वर्ष 2014 में तत्कालीन सरकार ने संबंधित विधेयक तैयार किया था।
  • मौजूदा सरकार इसे लोकसभा में ले कर आई और इसे स्थायी समिति में भेजा गया।
  • यह बिल राज्यसभा में आया और इसे प्रवर समिति के पास भेज दिया गया।
  • विधेयक को लेकर राज्य के वित्त मंत्रियों की बैठक में व्यापक स्तर पर सहमति तैयार करने की कोशिश हुई!
  • अधिकतर राज्य सरकारें और विभिन्न राजनैतिक दल इस बिल के समर्थन में हैं।
  • इसका मकसद भारत को एक बाजार के रूप में समन्वित करना और कराधान में एकरूपता लाना है।
  • इसके अंतर्गत जीएसटी से पीने वाले अल्कोहल को बाहर रखा गया है तथा पेट्रोलियम उत्पादों के बारे में जीएसटी
  • परिषद को तय करने का अधिकार होगा।
  • जीएसटी परिषद के फैसलों में दो तिहाई मत राज्यों का और एक तिहाई मत केंद्र का होगा।
  • जीएसटी से केंद्र और राज्यों का राजस्व बढ़ेगा।
  • विवाद होने की स्थिति में जीएसटी परिषद ही विवादों का निस्तारण करेगी।
  • यदि परिषद में विवादों का समाधान नहीं हो पाता है तो उसके समाधान के लिए परिषद ही कोई तंत्र इसका निस्तारण करेगा।

कांग्रेस ने कहा कि जीएसटी संबंधित कानून में विवाद निस्तारण तंत्र का स्पष्ट रूप से उल्लेख होना चाहिए। पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने भी सरकार को आड़े हाथों लिया!

चिदंबरम के अनुसार,

  • ‘कर’ का यही मकसद होता है कि इससे प्राप्त होने वाला राजस्व केंद्र अथवा राज्यों की संचित निधि में जाए।
  • वर्तमान विधेयक में इसे लेकर अस्पष्टता है।
  • राज्यों को एक फीसदी का अतिरिक्त कर लगाने का अधिकार देने संबंधी प्रावधान को हटा लेने के सरकार के फैसले योग्य कदम बताया।
  • सरकार का प्रस्ताव है कि जीएसटी काउंसिल की आपसी विवाद निस्तारण व्यवस्था न होने की स्थिति में इसके लिए कोई तंत्र वह स्वयं तय करेगी।
  • विधेयक में स्पष्ट तंत्र होना चाहिए नहीं तो विवादों में न्यायपालिका कानून के प्रावधानों को खारिज कर सकती है।
  • कर की मानक दर 18 फीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिए।
  • जीएसटी की मानक दर का प्रावधान तय किया जाए।
  • राज्यों को अगर जीएसटी से नुकसान होगा तो केंद्र सरकार 5 साल तक 100 प्रतिशत मुआवजा दे।
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