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प्रशांत किशोर से जुड़े ऐसे सवाल जो किसी बड़े घोटाले का करते हैं इशारा

भाजपा की विजय रथ यात्रा साल 2014 में अपने लक्ष्य तक पहुंची और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बन गये. 2014 के चुनावों में मोदी लहर तो आई पर इसके लिए पीएम मोदी की लोकप्रियता के अलावा भी कुछ लोगों को श्रय था, उनमें से एक थे राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर.

क्या प्रशांत किशोर फॉरेन इंटेलिजेंस का मुखौटा:

राजनीति में रूचि रखने वाला प्रशांत किशोर को न जाने, ये होना थोडा मुश्किल ही होगा. प्रशांत किशोर पिछले लोकसभा चुनाव से चर्चा में आये और भाजपा की जीत के बाद स्टार बन गये. लेकिन अब उनकी कार्य प्रणाली को लेकर सवाल उठने लगे हैं.

एक खोजी पत्रकार नवीन चतुर्वेदी की माने तो नरेंद्र मोदी की 2014 की रिकॉर्ड जीत कहीं से भी प्रशांत किशोर का करिश्मा नहीं था, बल्कि परिस्थितियों के चलते मौके का फायदा उठा कर पीके रातों रात स्टार बन गये थे, जबकि सब मेहनत फॉरेन इंटेलिजेंस सर्विसेज जैसे सीआईए,  ब्रिटिश सीक्रेट सर्विसेज और मोसाद की थी.

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खोजी पत्रकार नवीन चतुर्वेदी ने आरोप लगाया कि ये विदेशी एजेंसियाँ खुद को सामने रख कर क्रेडिट नहीं ले सकती थीं और न हीं पीएम मोदी विदेशी एजेंसियों को क्रेडिट दे सकते थें, इसलिए जीत का सेहरा बंधा प्रशांत किशोर के सर पर. और अब वो फॉरेन इंटेलिजेंस सर्विसेज के एक एजेंट के तौर पर इस देश में अपना बिजनेस कर रहे हैं.

 

NAF की रिपोर्ट में पीएम मोदी प्रथम:

अभी हाल में ही उन्होंने एक सर्वे किया जिसमें ये घोषित किया कि साल 2019 में पीएम पद के लिए नरेंद्र मोदी को 48 फीसदी लोगों ने पसंद किया है. इसी के साथ उनको टॉप प्रथम रख दिया. इस अभियान को उन्होंने नेशनल एजेंडा फोरम नाम दिया. उन्होंने ये बताया कि ये नेशनल एजेंडा महात्मा गांधी के 18 सिद्दांतों को आधार बना कर करीब 55 लाख लोगों ने देश भर से वोटिंग की है.

वहीं 2014 के चुनावों में सफलता के बाद बिहार और पंजाब में जीतने वाले प्रशांत किशोर यूपी में जीत की रणनीति बनाने में फेल हो गये. इन सब बातों को लेकर खोजी पत्रकार ने सवाल उठाया है कि प्रशांत किशोर को इन सब कामों के लिये कितना पैसा मिलता होगा?

जिन चुनावों में हजारों करोड़ों रुपयों का लें दें होता हैं, जहाँ एक छोटे से असेम्बली चुनावों में आजकल महज 2 से 4 करोड़ रुपये झोंक दिए जाते हैं, ऐसे में अगर कोई दावा करें कि प्रशांत किशोर को दो पांच सौ करोड़ मिले होंगे तो कोई अचरज की बात नहीं हैं.

लेकिन कुछ सवाल है जो उठने भी लाजमी है. वहीं सवाल खोजी पत्रकार न न केवल प्रशांत किशोर बल्कि पीएम मोदी से भी किये हैं…

सवाल: 

[penci_blockquote style=”style-3″ align=”none” author=””]खोजी पत्रकार ने आरोप लगाया कि 2014 में नरेंद्र मोदी की जीत के असली नायक फॉरेन एजेंसीज ही हैं लेकिन जीत का सेहरा पीके के सर बंधा क्योंकि वे उनके एजेंट हैं? [/penci_blockquote]

तिरुपति मंदिर के खजाने पर फॉरेन इंटेलिजेंस की नजर:

[penci_blockquote style=”style-3″ align=”none” author=”” font_style=”italic”]”मैं अच्छे से जानता हूँ कि मैं आप पर बहुत गंभीर आरोप लगा रहा हूँ, लेकिन यह सब हवा में नहीं हैं. ये सब सवाल मेरी पुख्ता जानकारी और उपलब्ध दस्तावेजों पर आधारित हैं. आप मेरे सवालों के जवाब से मुझे संतुष्ट कर दें, अगर मैं गलत हुआ तो आपे सार्वजनिक माफ़ी मांगनें में संकोच नहीं करूंगा”[/penci_blockquote]

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