कर्नाटक विधानसभा चुनावों में त्रिशंकु विधानसभा के नतीजे के बाद आज बड़े फैसले का दिन है. जहाँ एक ओर आज भाजपा के मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी बी.एस.येदियुरप्पा सरकार बनाने को लेकर दावा पेश करेंगे, वहीं कांग्रेस का समर्थन प्राप्त जेडीएस भी सरकार बनाने को लेकर राज्यपाल के सामने अपना दावा पेश करने वाली हैं. 

कर्नाटक में बीजेपी के सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद भी सरकार बनाने में पैदा असमंजस की स्थिति बुधवार को दूर हो सकती है. बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी बीएस येदियुरप्पा बुधवार को दिल्ली पहुंचेंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आवास पर मुलाकात करेंगे. इस दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और कुछ वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री भी मौजूद होंगे.

वहीं बीएस येदियुरप्पा की अगुवाई में 11 बजे पार्टी विधायक दल की बैठक होगी. बैठक में सभी 104 विधायकों के उपस्थित रहने की संभावना है. पार्टी के स्टेट हेडक्वार्टर में होने वाली इस बैठक में केंद्रीय प्रतिनिधि भी उपस्थित रहेंगे.

दूसरी ओर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की भी कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमिटी के दफ्तर में 78 विधायकों के साथ बैठक होने जा रही है. बैठक में सिद्धारमैया और कांग्रेस का केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल भी शामिल होगा.

JDS और कांग्रेस गठबंधन ने सरकार बनाने का किया दावा :

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन बहुमत से नौ सीटें दूर रह गई. उधर कांग्रेस ने भगवा पार्टी को सत्ता से दूर रखने के लिये नाटकीय रूप से चुनाव बाद गठबंधन के तहत तीसरे नंबर की पार्टी जेडीएस को अपना समर्थन दे दिया.

त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति सामने आने के बाद सबसे बड़े दल बीजेपी और चुनाव पश्चात बने कांग्रेस-जेडीएस के गठबंधन के सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद राज्य में भावी सरकार को लेकर संशय और गहरा गया है.

जीत कर भी जीत से दूर है भाजपा:

भाजपा के दिन भर के रुझानों में नाटकीय रूप से बदलाव व ऊपर-नीचे होने से पार्टी के जश्न को किरकिरा कर दिया और दक्षिण में सरकार बनाने की उम्मीदों को थोड़ा बिगाड़ दिया है. कर्नाटक में सरकार के जरिए भाजपा दक्षिण भारत में अपनी पैठ का विस्तार करना चाहती है.

राज्यपाल पर टिकी सबकी नजरें:

हालांकि इन सबके बीच सभी की नजरे राज्यपाल पर टिकी हैं कि सरकार बनाने के लिए वे पहले किसको निमंत्रित करते हैं. राज्यपाल के पास अभी दो विकल्प हैं, पहला ये कि वे सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी को पहले बुलाएं और बहुमत साबित करने के लिए कहें या फिर जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन को सरकार बनाने के लिए न्यौता दें.

संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप का कहना है कि ये पूरी तरह राज्यपाल पर निर्भर है कि वे सरकार बनाने के लिए पहले किसे आमंत्रित करते हैं. सबसे बड़ी पार्टी को, या गठबंधन सरकार को.

गेंद अब राज्यपाल के पाले में है. सामान्य प्रथा के अनुसार, राज्यपाल सबसे बड़े दल के नेता या चुनाव पूर्व गठबंधन को सरकार बनाने के लिए बुलाते हैं. त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में सदन में नेता को एक नियत समय में बहुमत साबित करने को कहा जाता है. कर्नाटक में कांग्रेस व जेडीएस का चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं था. यह राज्यपाल पर है कि वह किसको पहले बुलाते हैं.

कांग्रेस ने भाजपा से सीखा तुरंन्त गठ्बन्धन की कला: 

कांग्रेस ने मणिपुर और गोवा की गलतियों से सीख लेते हुए, जेडीएस के साथ गठबंधन का एलान कर दिया. ऐसा कांग्रेस ने मणिपुर और मिजोरम से सीखा. दोनों राज्यों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बाद कांग्रेस ने देर से प्रतिक्रिया की थी और भाजपा को छोटी पार्टियों के साथ गठजोड़ कर सरकार बनाने का पर्याप्त समय दे दिया था.

कर्नाटक में कांग्रेस ने 78 सीटों पर जीत हासिल की और आश्चर्यजनक तौर पर जनता दल (सेक्युलर) को अपने समर्थन की घोषणा की. राज्य विधानसभा चुनावों में जेडीएस 37 सीटों के साथ तीसरे नंबर की पार्टी बनी है.

पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी देवेगौड़ा की अगुवाई वाली जेडीएस ने फौरन कांग्रेस के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और सरकार बनाने के दावे के साथ राज्यपाल को पत्र लिखा. इसके बाद जेडीएस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी.कुमारस्वामी व कांग्रेस के सिद्धारमैया ने राज्यपाल से मुलाकात की और सरकार बनाने का दावा पेश किया.

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