कर्नाटक के राज्यपाल ने बीजेपी के विधायक केजी बोपैया को बहुमत परीक्षण से एक दिन पहले प्रोटेम स्पीकर के पद पर नियुक्त किया है. प्रोटेम स्पीकर को लेकर राज्यपाल के फैसले पर कांग्रेस और विपक्षी दलों ने सवाल उठाये हैं. मनु सिंघवी ने  कहा कि उन्हें बोपैया प्रोटेम स्पीकर के रूप में स्वीकार्य नहीं होंगे. हम इस पर शीध्र कोई एक्शन लेंगे. हमें जानकारी मिली थी कि देशपांडे सबसे वरिष्ठ विधायक हैं. हमारे पास सभी विकल्प खुले हुए हैं.

प्रोटेम स्पीकर चुने जाने का विरोध:

नियमों के अनुसार प्रोटेम स्पीकर उसे चुना जाता है जो पार्टी का सबसे वरिष्ट नेता होता है. लेकिन  केजी बोपैया के प्रोटेम स्पीकर चुने जाने के बाद से ही हर तरफ से विरोध बना हुआ है. इससे पहले खबर यह भी थी कर्नाटक विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर के लिए दो विधायकों का नाम प्रस्तावित किया गया था. इनमें एक उमेश कट्टी और दूसरा आरवी देशपांडे का नाम शामिल था. ये नाम संसदीय कार्य विभाग को भेजा गए थे. उमेश कट्टी बीजेपी के विधायक हैं और आरवी देशपांडे कांग्रेस के विधायक हैं. दोनों अपनी-अपनी पार्टियों के वरिष्ठ विधायक हैं.

प्रोटेम स्पीकर का मुख्य कार्य नव निर्वाचित विधायकों को शपथ दिलवाना होता है. किसी शख्स का नाम सिफारिश के लिए भेजते समय यह जरूर देखना होता है कि वह उस समय स्पीकर या मंत्रीपद का उम्मीदवार ना हो.  प्रोटेम स्पीकर को यह फैसला लेना होता है कि सदन में बहुमत ध्वनि के जरिए या बैलेट के जरिए करवाना है.

कल होगा बहुमत परीक्षण:

मालूम हो सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया है कि कल शाम 4 बजे बीजेपी और कांग्रेस-जेडीएस को अपना बहुमत सिद्ध करना होगा. अगले 28 घंटे में होगा बहुमत परीक्षण जिसमे कांग्रेस जेडीएस और बीजेपी को सत्ता पाने के लिए अपना बहुमत साबित करना होगा. कल होने वाला बहुमत परीक्षण देखने लायक होगा, कर्नाटक में आंधी सी आई हुई है वहीँ जहाँ कांग्रेस पूरी तरह से तैयार है लेकिन बीजेपी बहुमत परीक्षण के लिए और वक़्त चाह रही थी. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बीजेपी को बड़ा झटका लगा है.

कर्नाटक विधानसभा की 222 सीटों पर हुए चुनाव के नतीजों के मुताबिक अभी बीजेपी को 104 सीटें मिली हैं, जो कि बहुमत से 8 विधायक कम है. कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 37, बसपा को 1 और अन्य को 2 सीटें मिली हैं. ऐसे में बीजेपी भले ही सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी हो, लेकिन बहुमत से वो दूर है.

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