केंद्रीय गृहराज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार नस्लभेद मामले में तब तक खुद से कोई फैसला नहीं ले सकती, जब तक इस संबंध में पीड़ित शिकायत दर्ज नहीं कराता।
राज्यसभा में बोले किरण रिजीजू-
- रिजिजू ने खासी महिला के संदर्भ में राज्यसभा को बताया कि हम तब तक खुद से कोई कार्रवाई नहीं कर सकते।
- जब तक पीड़ित शिकायत दर्ज नहीं कराता।
- रिजिजू उस ‘खासी’ समुदाय की महिला का उल्लेख कर रहे थे, जिसे जून में पारंपरिक वेशभूषा पहनने की वजह से दिल्ली के एक पॉश गोल्फ क्लब से जाने को कहा गया था।
- उन्होंने कहा कि इस मामले में मैंने खुद दिल्ली पुलिस से जांच करने को कहा।
- लेकिन महिला ने शिकायत दर्ज नहीं कराई।
अपराधों पर खुद से कोई कदम नहीं उठा सकती पुलिस-
- इस संदर्भ में जब कांग्रेस सांसद भुवनेश्वर कलिता ने रिजिजू से पूछा कि नस्ली हिंसा के खिलाफ कार्रवाई करने में प्राथमिकी (एफआईआर) बाधा क्यों बननी चाहिए?
- रिजिजू ने कहा कि मौजूदा समय में कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
- जिसके तहत पुलिस इस तरह के अपराधों पर खुद से कोई कदम उठा सके।
कानून को अपना काम करने देना चाहिए-
- केंद्रीय गृहराज्य मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा कि नस्ली अपराध गंभीर मामले हैं।
- लेकिन कानून को अपना काम करने देना चाहिए।
- उन्होंने कहा कि मैं खुद से कोई नियम नहीं बना सकता।
- यदि हमारे पास उपयुक्त नियम हैं तो इससे पुलिस को कार्रवाई करने में आसानी होगी।
समवर्ती सूची में यह मामला-
- रिजिजू ने एक पूरक प्रश्न के जवाब में कहा कि इस तरह के नस्ली हमलों से निपटने के लिए गृह मंत्रालय को भारतीय दंड संहिता में धारा 153 (ए) और धारा 509 (ए) को शामिल करने का प्रस्ताव दिया है।
- लेकिन यह मामला समवर्ती सूची में है।
- इसके लिए केंद्र को अधिकतर राज्यों के अनुमोदन की जरूरत है।
- उन्होंने कहा कि अभी तक सिर्फ सात राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने ही सकारात्मक जवाब दिया है।
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