labour आज श्रम दिवस है. श्रमिकों का दिन है. ईंट से ईंट जोड़ने वालों का दिन. खुद अविकसित रहकर देशों को विकसित देश बनाने वालो का दिन. एक दिन श्रमिकों के नाम कर देने से क्या हम उनकी स्थिति में कुछ सुधार कर सकते हैं. रोज काम कर के रोटी कमाने वालो के लिये एक दिन छुट्टी देकर हम उनकी क्या मदद कर रहे है. क्या इससे हम उनकी भूख को बढ़ा नही रहे..? 

भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत

दुनिया के कई देशों में एक मई को लेबर डे या मजदूर दिवस मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय श्रम दिवस मनाने वाले देशों में भारत भी शामिल है। इस दिन लगभग सभी कंपनियों में अवकाश होता है। भारत के अलावा देश के 80 देशों में इस दिन राष्ट्रीय अवकाश होता है।

भारत में मजदूर दिवस कामकाजी लोगों के सम्‍मान में मनाया जाता है। भारत में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्‍दुस्‍तान ने 1 मई 1923 को मद्रास में इसकी शुरुआत की थी। हालांकि उस समय इसे मद्रास दिवस के रूप में मनाया जाता था।

राष्ट्रपति ने दी बधाई:

श्रम दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट कर सभी श्रमिकों को शुभकामनाएं दी है। उन्होंने कहा, ‘श्रम दिवस पर हमारे मेहनती श्रमिक भाई-बहनों को बधाई और शुभकामनाएं। हमारे अनगिनत श्रमिकों के अनुशासन और समर्पण से हमारे देश का निर्माण हो रहा है और वे एक नए भारत की नींव रख रहे हैं। वे हमारे सच्चे राष्ट्र-निर्माता हैं।

भारत में श्रम दिवस मनाते हुए हमें 95 साल होने को है. श्रमिकों के लिए एक ख़ास दिन हमने बना दिया. पर श्रम दिवस से उनको क्या मिला? एक दिन की छुट्टी. पर हर रोज काम करके दैनिक भत्ते के रूप में कमाने वाले इन श्रमिकों को एक दिन काम ना करने पर रोटी की भी दिक्कत हो जाती हैं. इसमे उनको इस छुट्टी की जरूरत है?

श्रमिको की नही सुधरी हालत:

श्रमिक हमारे समाज का नींव हैं. उनके नाम का ख़ास दिन इख्तियार करने से बढकर उनके उत्थान, उनके जीवन के संघर्षों को कुछ कम करने का प्रयास उनके लिए ज्यादा कामगर है.

पिछले 95 सालों में श्रमिकों ने तो हमे बहुत कुछ दिया पर सरकार और समाज ने उनके लिए क्या किया..? आज भी सरकार से लेकर राज्य सरकार कर्मिकों के हक को लेकर गंभीर नहीं है। हालांकि सरकार श्रम विभाग के माध्यम से मजदूरों के लिए 15 विभिन्न योजनाओं का संचालन कर रही है। इन योजनाओं के माध्यम से सरकार निचले वर्ग के मजदूरों को स्वास्थ्य बीमा के साथ ही उनके बच्चों की पढ़ाई में मदद की बात कहती है। मौजूदा समय में श्रम विभाग में लगभग एक लाख नौ हजार श्रमिकों का पंजीकरण किया गया है। ऑनलाइन प्रणाली के तहत सरकार योजनाओं में पारदर्शिता लाने के साथ ही मजदूरों के हक में काम करने की बात कहती है। मजदूरों को संगठित और अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए प्रितिवर्ष ने बल्कि प्रतिदिन मजदूर दिवस मनाने की जरूरत है।

क्या कर सकते है श्रमिकों के लिए: 

श्रमिक विभाग के स्तर पर:

सरकार ने मजदूरों की भलाई के लिए श्रमिक विभाग बनाकर एक लेबर एक्ट बनाया है, जिस तहत मजदूरों के काम करने का समय व मजदूरी तय की गई है। बेशक इनके कार्यालय जिला स्तर पर मौजूद हैं लेकिन अधिकतर मजदूरों की इन तक पहुंच नहीं है। अनपढ़ व गरीब मजदूरों को इस कार्यालय की जानकारी न होना दूर की बात हैं, श्रमिक विभाग का पता तक नहीं कि यह क्या होता है? इसलिए जरूरी है कि श्रमिक विभाग के कर्मचारी समय-समय पर खुद मजदूरों तक पहुंच करें व उनको जागरूक करने के लिए कैंप आदि लगाते रहें।

ठेकेदारी सिस्टम बंद हो:

मजदूरों का सबसे अधिक शोषण ठेकेदारों द्वारा ही किया जाता है। उनको पूरी सुविधाएं नहीं दी जातीं व उनसे अधिक समय काम करवाया जाता है। इसलिए जरूरी है कि ठेकेदारी सिस्टम को बंद किया जाए व मजदूरों को सरकारी नौकरियों के आधार पर कम-से-कम बनता मेहनताना दिया जाए ताकि उनको बनता हक मारा न जा सके। इसके अतिरिक्त घरों, कार्यालयों आदि प्राइवेट स्थानों पर काम करने वाले मजदूरों के मालिकों पर भी सख्त नजर रखी जाए व इस बात को पक्का किया जाए कि कोई प्राइवेट मालिक मजदूरों का शोषण न करता हो।

भारी जुर्माने व सजा का प्रबंध हो:

 मजदूरों का शोषण करने वाले ठेकेदारों व प्राइवेट संस्थानों के मालिकों को भारी जुर्माने व सजा करने का प्रबंध कानूनी तौर पर किया जाना चाहिए। पहली व दूसरी बार शिकायत मिलने पर जुर्माना और तीसरी बार शिकायत मिलने पर सजा जरूरी की जाए। जुर्माने की रकम मजदूरों के परिवारों को मिले। शिकायत कार्यालय ब्लाक स्तर पर होने पर शिकायत पर 24 घंटों में अमल किया जाना जरूरी किया जाए।

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