भारत सरकार से पत्र प्राप्त होने के बाद किसानों ने सिंघू बॉर्डर के धरना स्थल से टेंट हटाने शुरू किए ।

दिल्ली-हरियाणा स्थित सिंघू बॉर्डर से किसानों ने अपने धरना स्थल से टेंट हटाना शुरू कर दिया है। इस बारे में बात करते हुए एक किसान ने कहा कि हम अपने घरों के लिए निकलने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन अंतिम फैसला संयुक्त किसान मोर्चा करेगा।

ज्ञात हो कि विरोध करने वाले किसानों को भारत सरकार से एक पत्र प्राप्त होता है, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर एक समिति बनाने और उनके खिलाफ मामले तुरंत वापस लेने का वादा किया है। जहां तक मृत किसानों के लिए मुआवजे की बात है तो यूपी और हरियाणा सरकार इस ने इसके लिए सैद्धांतिक सहमति दे दी है।

भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव द्वारा आज 9 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा को भेजे पत्र में कहा है कि वर्तमान गतिशील किसान आंदोलन के लंबित विषयों के संबंध में समाधान की दृष्टि से भारत सरकार की ओर से निम्नानुसार प्रस्ताव प्रेषित है।

MSP पर प्रधान मंत्री जी ने स्वयं और बाद में कृषि मंत्री जी ने एक कमेटी बनाने की घोषणा की है, जिस कमेटी में केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधि और कृषि वैज्ञानिक सम्मिलत होंगे। यह स्पष्ट किया जाता है कि किसान प्रतिनिधि में SKM (संयुक्त किसान मोर्चा) के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। कमेटी का एक मैनडेट यह होगा कि देश के किसानों को MSP मिलना किस तरह सुनिश्चित किया जाए। सरकार वार्ता के दौरान पहले ही आश्वासन दे चुकी है कि देश में MSP पर खरीदी की अभी की स्थिति को जारी रखा जाएगा।

जहां तक किसानों को आंदोलन के वक्त के केसों का सवाल है, यू.पी., उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा सरकार ने इसके लिए पूर्णतया सहमति दी है कि तत्काल प्रभाव से आंदोलन संबंधित सभी केसों को वापस लिया जाएगा।

किसान आंदोलन के दौरान भारत सरकार के संबंधित विभाग और एजेंसियों तथा दिल्ली सहित सभी संघ शासित क्षेत्र में आंदोलनकारियों और समर्थकों पर बनाए गए आंदोलन संबंधित सभी केस भी तत्काल प्रभाव से वापस लेने की सहमति है। भारत सरकार अन्य राज्यों से अपील करेगी कि इस किसान आंदोलन से संबंधित केसों को अन्य राज्य भी वापस लेने की कार्रवाई करें।

जहां तक मुआवजे का सवाल है, इसके लिए भी हरियाणा और यू.पी. सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। पंजाब सरकार ने भी सार्वजनिक घोषणा की है।

बिजली बिल में किसान पर असर डालने वाले प्रावधानों पर पहले सभी स्टेकहोल्डर्स/ संयुक्त किसान मोर्चा से चर्चा होगी। मोर्चा से चर्चा होने के बाद ही बिल संसद में पेश किया जाएगा। जहां तक पराली के मुद्दे का सवाल है, भारत सरकार ने जो कानून पारित किया है उसकी धारा 14 एवं 15 में क्रिमिलन लाइबिलिटी से किसान को मुक्ति दी है। उपरोक्त प्रस्ताव से लंबित पांचों मांगों का समाधान हो जाता है। अब किसान आंदोलन को जारी रखने का कोई औचित्य नहीं रहता है। अत: अनुरोध है कि उक्त के आलोक में किसान आंदोलन समाप्त करें।

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