देश में बने पहले लाइट कॉम्बैट लड़ाकू विमान तेजस को बेंगलुरु में शंख की गूंज के साथ एयरफोर्स में शामिल कर लिया गया। इन दो विमानों बेड़ों का नाम फ्लाइंग डैगर्स फोर्टीफाइव है। ये विमान 1350 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आसमान में उड़ सकते हैं और ये दुनिया के सबसे बेहतरीन फाइटर प्लेन को टक्कर देने की हैसियत रखते हैं। इसके साथ भी भारत की ताकत और भी बढ़ गई है।

वायुसेना के अधिकारियों के अनुसार, दक्षिणी वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन चीफ एयर मार्शल जसबीर वालिया की मौजूदगी में एएएसटीई में एलसीए स्क्वाड्रन को शामिल किया गया। इस समारोह में वायुसेना में तेजस को शामिल करने से पहले पूजा-पाठ की गई।

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने इन फायटर प्लेन का निर्माण किया है। इसके साथ ही स्वदेशी लड़ाकू विमान का भारत का सपना 30 साल की मेहनत के बाद पूरा हुआ। करीब 30 साल के बाद इस विमान को बनाया जा सका है। तेजस की क्षमता की तुलना फ्रांस मेड मिराज 2000, अमेरिका की एफ-16 और स्वीडन की ग्रि‍पेन से की जाती है।

दो साल बाद इसे तमिलनाडु के सुलूर भेजा जाएगा। बीते 17 मई को तेजस में अपनी पहली उड़ान भरने वाले एयर चीफ मार्शल अरूप राहा ने विमान को वायुसेना में शामिल करने के लिए सही बताया था।

Tweet: ANI

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