मध्यप्रदेश सरकार ने नर्मदा सेवा यात्रा में विशेष योगदान देने वाले 5 संतो को राज्यमंत्री का दर्जा दिया है. सरकार के इस कदम को आगामी चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है. यह संत भाजपा के खिलाफ नर्मदा घोटाला रथ यात्रा निकालने वाले थे. जिसे अब इन्होने रद्द कर दिया है.

संत सरकार के खिलाफ करने वाले थे “नर्मदा घोटाला रथ यात्रा”:

मध्यप्रदेश में जिन पांच लोगों को नर्मदा नदी की रक्षा के लिये राज्यमंत्री के दर्जे से नवाजा गया है, उनमें शामिल एक संत समेत दो लोगों ने सूबे की भाजपा सरकार के खिलाफ प्रस्तावित ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’ रद्द कर दी है.  इन लोगों ने राज्य सरकार पर सीधे सवाल उठाते हुए एक अप्रैल से “नर्मदा घोटाला रथ यात्रा” निकालने की घोषणा की थी, लेकिन राज्यमंत्री का दर्जा मिलने के बाद दोनों ने यह यात्रा रद्द कर दी. है.

नर्मदा सेवा यात्रा में विशेष योगदान देने वाले 5 संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने पर मध्यप्रदेश में राजनीति शुरू हो गयी है. इस संबंध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान किसी भी सवाल का जवाब देने से बच रहे हैं. वही कांग्रेस ने सरकार पर हमला करते हुए इस फैसले को आगामी विधानसभा चुनाव के लिए उठाया राजनीतिक कदम माना. सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा जा रहा कि शिवराज सिंह चौहान ने अपने खिलाफ आंदोलित हो रहे संत समाज को शांत करने के लिए यह फैसला किया है.

मध्यप्रदेश सरकार ने जिन 5 साधु-संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया है, उनमें नर्मदानंद महाराज, हरिहरनंद महाराज, कंप्यूटर बाबा, भय्यू महाराज और पंडित योगेंद्र महंत शामिल हैं. सरकार ने नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए एक कमेटी बनायी है, जिसमें शामिल इन पांचों संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया है. इस संबंध में पंडित योगेंद्र महंत ने एक न्यूज चैनल से कहा, “सरकार ने समाज में जन-जागृति फैलाने के लिए साधु-संतों को कमेटी का सदस्य बनाया है.”

 1 अप्रैल से शुरू होनी थी ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’:

इस कमेटी के अंतर्गत सभी संतो को नर्मदा नदी के लिए विशेष रूप से काम करने, लोगों को जागरूक करने की जिम्मेदारी दी गयी है. चुनाव से 6 महीने पहले मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार के इस कदम पर पंडित योगेंद्र ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार पहले भी नदियों के संरक्षण के लिए काम करती रही है. संत समाज को इससे जोड़कर विशेष रूप से काम किया जा सकता है. समाज में इसका अच्छा संदेश जायेगा.

गौरतलब है कि इन्हीं बाबाओं के नेतृत्व में 28 मार्च को इंदौर में संत समाज की बैठक हुई थी. इसमें फैसला लिया गया था कि प्रदेश के 45 जिलों में उन 6.5 करोड़ पौधों की गिनती करायी जायेगी, जिन्हें पिछले साल 2 जुलाई को राज्य सरकार द्वारा नर्मदा किनारे रोपित करने का दावा किया गया था.

संतों ने इस सरकारी दावे को ‘महाघोटाला’ करार दिया था और 1 अप्रैल से 15 मई तक ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’ निकालने का एलान किया था. इसके आयोजक पंडित योगेंद्र महंत थे. महंत ने तब भोपाल सचिवालय पर संतों के धरना का भी एलान किया था. आंदोलित संत समाज को समझाने के लिए मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों उनके साथ बैठक की. बैठक के बाद संतो ने आंदोलन का फैसला वापस ले लिया.

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