हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के दिग्गज फनकार उस्ताद सईदुद्दीन डागर का आज निधन हो गया। वह वह ध्रुपद परंपरा के सर्वश्रेष्ठ गायकों में से एक थे। उस्ताद हुसैन सईदुद्दीन डागर ने लंबी बीमारी के बाद रविवार शाम पुणे के एक अस्पताल में अपनी अंतिम सांसें लीं। अस्पताल के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। वह 78 वर्ष के थे। वह प्रशंसकों में सईद भाई के रूप में लोकप्रिय थे।

ये भी पढ़ें :बुक्कल नवाब के भाजपा में जाने पर मुलायम सिंह ने दिया ‘बड़ा बयान’!

ध्रुपद परंपरा को रखा जीवित

  • एमजीएम अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक श्रीरंग पटवर्धन ने कहा कि सईदुद्दीन डागर के दो बेटे हैं।
  • पटवर्धन ने आईएएनएस को फोन पर बताया कि वह प्रशंसकों में सईद भाई के रूप में लोकप्रिय थे।
  • वह गुर्दे और इससे संबंधित अन्य बीमारियों से पीड़ित थे।
  • सईदुद्दीन डागर का जन्म राजस्थान में हुआ था और वह प्रतिष्ठित संगीतकार डागर परिवार का हिस्सा थे।
  • वह कुछ सालों से महाराष्ट्र में जा बसे थे और वहां पुणे में रह रहे थे।
  • वह लोकप्रिय सात ‘डागर भाइयों’ में सबसे छोटे थे और उन्होंने ध्रुपद परंपरा को जीवित रखने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
  • 29 अप्रैल, 1939 को वे राजस्थान के अलवर जिले में जन्मे थे।
  • सईदुद्दीन की संगीत यात्रा छह साल की उम्र से ही शुरू हो गई थी।
  • उनके पहले गुरु उनके पिता उस्ताद हुसैनुद्दीन खान डागर थे।
  • 1963 में पिता की मौत के बाद, उन्होंने अपने चाच पद्मभूषण उस्ताद रहीमुद्दीन खान डागर से प्रशिक्षण लिया।

ये भी पढ़ें :CM योगी का जनता दर्शन महज दिखावा: RTI में खुलासा!

संगीत की ली थी शिक्षा

  • बाद में उन्होंने अपने भाइयों पद्मभूषण उस्ताद एन. अमीनुद्दीन खान डागर, उस्ताद रहीम फहीमुद्दीन खान डागर, उस्ताद एन. जहीरुद्दीन खान डागर और उस्ताद एन. फैयाजुद्दीन खान डागर के अधीन संगीत की शिक्षा प्राप्त की।
  • उस्ताद साईदुद्दीन डागर ने भारत और विदेशों में कुछ प्रतिष्ठित कार्यक्रमों और संगीत समारोहों में प्रस्तुतियां दी थीं।
  •  जिनमें तानसेन समारोह, सवाई गंधर्व, ध्रुपद समारोह, ध्रुपद मेला, धमार समारोह शामिल हैं।
  • वेबसाइट रागावर्ल्ड डॉट कॉम के मुताबिक, उन्होंने कई सारी विदेश यात्राएं कीं।
  • और अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को मन मोह लिया।
  • वह जयपुर और पुणे ध्रुपद सोसायटी के अध्यक्ष भी थे।
  • उन्होंने भारत में ध्रुपद पर कई कार्यशालाएं और व्याख्यान आयोजित किए थे।
  • और हॉलैंड, जर्मनी, फ्रांस और बेल्जियम में साल में दो बार कार्यशालाएं आयोजित की थी।
  • उन्होंने अपने बेटों -नफीसुद्दीन और अनीसुद्दीन डागर- को 20वीं पीढ़ी की डागर वाणी के प्रस्तोता के रूप में तैयार किया है।

ये भी पढ़ें :बट्लर पैलेस की 9वीं मंजिल से गिरा मजदूर, मचा हड़कंप!

ये भी पढ़ें :अध्यापकों ने बच्चों को खिलाई कैल्शियम की ‘Expired’ गोली!

UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें