देश के जवान सीमा पर अपनी जान न्योछावर कर देते हैं तब वे ये नहीं सोचते कि उनके परिवार का क्या होगा. परंतु जब उनके परिवार को अपने हक़ के लिए ही तिरस्कार झेलना पड़े तो इससे शर्मनाक बात किसी भी सरकार के लिए नहीं हो सकती है. बता दें कि हरियाणा से ऐसा ही एक मामला सामने आया है. जिसमे शहीद की पत्नी को अपने विधवा होने का सबूत देना पड़ा है.

लिखित में दिया देवर से नहीं की है शादी :

  • सरकार द्वारा जवान के परिवार को कई सुविधायें दी जाती हैं.
  • परंतु कई बार ऐसा होता है कि आजीविका के लिए उन्हें तिरस्कार का सामना भी करना पड़ता है.
  • ऐसा ही एक मामला हरियाणा से है जहाँ एक शहीद की पत्नी ने विधवा होने का सबूत दिया है.
  • आपको बता दें कि शहीद जवान का नाम मंदीप सिंह है जो पंजाब रेजिमेंट के सिपाही थे.
  • गत वर्ष जम्मू-कश्मीर में हुई एक मुठभेड़ में पाकिस्तानियों द्वारा इनके शरीर को क्षत-विक्षत कर दिया गया था.
  • जिसके बाद हरियाणा सरकार द्वारा इनकी विधवा को सब-इंस्पेक्टर की नौकरी दी गयी थी.
  • साथ ही यह वादा किया गया था कि  जवान के भाई को सरकारी नौकरी और उन्हें पदोन्नति दी जायेगी.
  • परंतु बीच में सरकार द्वारा यह कहा गया कि उन्होंने अपने देवर के साथ विवाह कर लिया है.
  • जिसके बाद अब उन्हें अपने विधवा होने का सबूत लिखित में देना पड़ा है.
  • आपको बता दें कि जवान की विधवा पत्नी प्रेरणा डबल MA की हुई एक पड़ी लिखी महिला हैं.
  • परंतु फिर भी उन्हें सरकार की तरफ से इस तरह का तिरस्कार झेलना पड़ा है.
  • यह्नी नहीं जब बीते समय में राजनाथ सिंह हरियाणा के दौरे पर थे तब उन्हें ड्यूटी नहीं दी गयी थी.
  • प्रेरणा के अनुसार ऐसा इसलिए किया गया था क्योकि एक शहीद की विधवा ड्यूटी पर होने से मुश्किल हो सकती है.
  • हालाँकि इस मामले में सैनिक कल्याण बोर्ड के नुसार प्रेरणा के द्वारा लगाये गए सभी आरोप गलत हैं.
  • बोर्ड के अनुसार उनके छोटे भाई को सरकारी नौकरी का वादा किया गया है.
  • साथ ही परिवार को 50 लाख का मुआवज़ा दिया गया है जिसके बाद भी वे इस तरह के आरोप लगा रहे हैं.

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