ग्रामीण रोजगार की योजना मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) पैसे की कमी से जूझ रही है, इस साल मनरेगा को बजट में सबसे ज्यादा पैसा बांटा गया था और इतना ही नहीं ये अब तक के बजट में किसी भी स्कीम को मिला सबसे ज्यादा पैसा था. इसके बावजूद ये रोजगार गारंटी स्कीम पैसे की कमी का सामना कर रही है.

करने होंगे 10,000 करोड़ रुपये और जारी-

  • ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कहा है कि स्कीम के लिए 10,000 करोड़ रुपये के और धन को जारी करना होगा.
  • एक सूत्र ने कहा, ‘बजट में इस साल महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के लिए करीब 43,499 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जिसमें से अब तक राज्यों को 36,134 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं.’
  • सूत्र के अनुसार ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पिछले साल के करीब 12,581 करोड़ रुपये के बकाये का भी निपटारा किया है.
  • इस साल कार्यक्रम के सुगम संचालन के लिए मंत्रालय ने बजटीय आवंटन के अतिरिक्त 10,000 करोड़ रुपये भी मांगे हैं.
  • सूत्रों के अनुसार इस साल काम की मांग अपेक्षाकृत अधिक है, क्योंकि कुछ क्षेत्र अब भी सूखा प्रभावित हैं.

मजदूरों को महीनों से नहीं मिली मेहनताने की रकम-

  • छत्तीसगढ़ के लाखों मजदूरों को महीनों तक के मेहनताने की रकम नहीं मिल पाई है.
  • बताया गया है कि राज्यभर में मनरेगा का करीब 400 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं हो पाया है.
  • कमिश्नर का दावा है कि 3 दिनों में करीब 150 करोड़ रुपये का आवंटन किया जा चुका है.
  • लेकिन जानकारों का कहना है कि राशि जारी होने से लेकर मजदूरों के हाथ कैश आने में वक्त लगता है.
  • लिहाजा कई मजदूरों को रकम मिलने का इंतजार है.
  • राज्य में पिछले 2 साल से मनरेगा का भुगतान करने में लगातार देरी हो रही है.
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