रैथ ऑफ गॉड (wrath of god) यानी खुदा का कहर! ये इजरायल का वो मिशन था जिसने अपने खिलाड़ियों की मौत का बदला लिया। उन खिलाड़ियों की मौत का बदला जिनको फिलिस्तीनी आतंकियों ने ओलंपिक के दौरान मौत के घाट उतार दिया था.

म्यूनिख ओलंपिक में जब आतंकियों ने बोला था धावा:

जर्मनी के म्यूनिख शहर में 1972 में ओलंपिक खेलों का आयोजन हो रहा था. दुनिया भर के विभिन्न खेलों के प्रतिभागी इस ओलंपिक में शिरकत कर रहे थे.

लेकिन 5 सितंबर 1972 को जो कुछ हुआ उसने इजराइल समेत पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था. ओलंपिक गांव में उस दिन खिलाड़ियों की तरह ट्रैक सूट पहने 8 अजनबी लोहे की दीवार फांदकर घुसने की कोशिश में थे. लेकिन उन्हें कनाडा के खिलाड़ियों ने पहले रोकने की कोशिश की और बाद में किसी दूसरे देश का खिलाड़ी समझ दीवार फांदने में उनकी मदद कर दी. दूसरी तरफ ट्रैक सूट पहने वो सभी अज्ञात वहां पहुंच गए जहां इजरायली खिलाड़ी ठहरे हुए थे. वहां पहुँचते ही इनकी असलियत सामने आ गई. हथियारों से लैस ये सभी आतंकी फलस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन के थे.

रेसलिंग कोच मोसे वेनबर्ग को गोलियों से भूनकर इन्होने अपने इरादे जता दिए थे. आतंकियों ने वहां के हॉस्टल के कमरों की तलाशी लेने के बाद सभी इजराइली खिलाड़ियों को बंधक बना लिया था. कुछ खिलाड़ी भागने में सफल रहे लेकिन कुछ ने हिम्मत जुटाकर आतंकियों का मुकाबला किया। पूरी दुनिया में ये खबर आग की तरह फ़ैल गई थी कि म्यूनिख में इजराइली खिलाड़ियों को बंधक बना लिया गया है.

234 फिलिस्तीनियों की रिहाई की रखी थी मांग:

  • आतंकियों ने इजरायल की जेलों में बंद 234 फलस्तीनियों को रिहा करने की मांग रखी थी.
  • पर इजरायल ने कह दिया कि आतंकियों की कोई मांग नहीं मानी जाएगी.
    इजराइल के इस फैसले के बाद आतंकियों ने दो खिलाड़ियों की लाश हॉस्टल के दरवाजे से बाहर फेंक दिया.
  • शायद वो इजराइल को झुकाना चाहते थे लेकिन वहां की सरकार उनके आगे झुकने को तैयार नहीं थी.
  • वहीँ इजरायल जर्मनी को स्पेशल फोर्सेस भेजने की मांग कर रहा था लेकिन जर्मनी इसके लिए तैयार नहीं हुआ था.

आतंकियों ने बाहर निकलने की रखी मांग:

  • आतंकियों ने मांग रखी कि उन्हें यहां से बाहर निकलने दिया जाए.
  • इसके अलावा वो बंधक खिलाड़ियों को अपने साथ ले जाना चाहते थे.
  • जर्मन सरकार इस ताक में थी कि इसी बहाने एयरपोर्ट पर आतंकियों को निशाना बना उन्हें ख़त्म कर दिया जायेगा.
  • जर्मनी द्वारा आतंकियों को बस मुहैया कराई गई.
  • आतंकियों को बस द्वारा एयरपोर्ट तक ले जाया गया.
  • एयरपोर्ट पर शार्प शूटर तैनात किये गए थे.
  • वहां खिलाड़ियों को बस से उतारकर हेलीकॉप्टर में बिठा दिया गया.
  • इसी के साथ शार्प शूटरों ने आतंकियों को निशाना बनाना शुरू कर दिया.
  • आतंकियों ने कोई चारा बचता न देख खिलाड़ियों पर गोलियां दागनी शुरू कर दीं और दूसरे
  • हेलीकॉप्टर में बैठे खिलाड़ियों को गोलियों से भून दिया.
  • इजरायल के 9 खिलाड़ी आतंकियों द्वारा मार दिए गए.
  • इस मुठभेड़ में सभी आतंकी मारे गए लेकिन इजराइल ने अपने देश के कुल 11 खिलाड़ियों को खो दिया.

इजरायली प्रधानमंत्री गोल्डा मेयर ने इसका बदला लेने के लिए फिलिस्तीन में कई ठिकानों पर बमबारी कराई. इसमें 200 से ज्यादा लोग मारे गए. इसमें आतंकी और कुछ निर्दोष नागरिक भी थे.
उन्होंने मोसाद को खिलाड़ियों की मौत का बदला लेने का जिम्मा दिया.

मोसाद का मिशन ‘रैथ ऑफ गॉड’

  • सबसे पहले मोसाद ने ऐसे लोगों की लिस्ट बनाई, जो म्यूनिख नरसंहार में शामिल थे या किसी प्रकार से उनका सम्बन्ध था.
  • मोसाद के एजेंट्स गुमनाम रह कर ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड को अंजाम देने के लिए तैयार किये गए.
  • सबसे बड़ी बात थी कि पकड़े जाने पर इजरायल उन्हें पहचानने से इनकार कर देता.
  • मोसाद एजेंट्स ने वेल ज्वेटर और महमूद हमशारी का कत्ल कर अपने मिशन की शुरुआत की.
  • मोसाद की टीम ने ब्लैक सेप्टेंबर से संबंध रखने के शक में एक शख्स हुसैन अल बशीर की निगरानी शुरू कर दी.मोसाद की टीम ने उसके बिस्तर में बम लगाकर उसे उड़ाने का प्लान बनाया.
  • एक मोसाद एजेंट ने बशीर के बगल वाला कमरा किराए पर लिया.
  • वहां से उसने पुरा काम कर दिया.
  • रात को बशीर का कमरा एक धमाके के साथ उड़ गया.
  • इजरायल का कहना था कि वो साइप्रस में ब्लैक सेप्टेंबर का प्रमुख था.

दुनिया में कहीं भी छिपे हों मोसाद की नज़रों से नहीं बच सकते:

  • इसके बाद मोसाद ने दुनिया भर में कई ठिकानों को निशाना बनाया और अपने टारगेट को पूरा किया.
  • मोसाद अपने लक्ष्य को हर हाल में हासिल करने के लिए विख्यात है.
  • ब्लैक सेप्टेंबर से जुड़े मोहम्मद बउदिया को 1973 में उसकी कार की सीट में बम लगाकर मिशन को अंजाम दिया था.
  • वहीँ दो फलस्तीनी अली सलेम अहमद और इब्राहिम अब्दुल अजीज को 1979 में साइप्रस में मार दिया गया.
  • पीएलओ के दो वरिष्ठ सदस्यों को इटली में निशाना बना दिया गया.
  • पेरिस में पीएलओ के दफ्तर में फदल दानी को कार बम से उड़ा दिया गया था.
  • पीएलओ का सदस्य ममून मेराइश एथेंस में 1983 में मार दिया गया.
  • 1986 को एथेंस में पीएलओ के डीएफएलपी गुट के महासचिव खालिद अहमद नजल को मार दिया गया.
  • इसी साल पीएलओ के सदस्य मुंजर अबु गजाला को बम से उड़ा दिया गया.
  • मोसाद ने इस ऑपरेशन के दौरान कई देशों में अपने टारगेट ढूँढे.
  • इजराइल द्वारा उन्हें हर प्रकार की मदद दी गई.
  • साथ ही ये भी कहा गया कि पकड़े जाने पर इजराइल उन्हें अपना नागरिक मानने से इंकार कर देगा.
  • आज इजराइल के इन एजेंट्स का लोहा पूरी दुनिया मानती है.
  • ऐसा कहा जाता है कि इन एजेंट्स ने जिन्हे भी गोली मारी, 11 गोली मारी.
  • इस प्रकार उन्होंने 11 इजराइल के खिलाड़ियों की मौत का बदला लिया.

आज इजराइल की सरकार इनपर पानी की तरह पैसा बहाती है. अरबों का बजट इनके लिए सरकार अलग से रखती है. ये इजराइल के दुश्मनों के साथ बहुत ही निर्ममता के साथ पेश आते हैं. ये केवल उन्हें मारते नहीं बल्कि डर पैदा करते हैं ताकि कोई इजराइल की तरफ आंख भी उठाकर देखने की गलती न करे.

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