देश में लगातार हो रही रेप वारदातों से महिला सुरक्षा गंभीर खतरे में नजर आती है. इससे ज्यादा गंभीर मुद्दा दिनोंदिन नाबालिग बच्चियों के साथ बढ़ रही दुष्कर्म की घटनायें हैं. बच्चे अपने साथ हो रहे ऐसे निर्मम अपराध से लड़ने में भी सक्षम नही होते, जिन्हें यह तक नही पता होता कि आखिर उनके साथ ऐसा सलूक हो क्यूँ रहा है. हाल के कुछ आपराधिक मामलो से साफ़ है कि देश की बच्चियां इस समय सबसे ज्यादा खतरे में है. इस दौरान केंद्रीय कैबिनेट का इस अपराध के खिलाफ आया सज़ा का प्रावधान सराहनीय है. 

शनिवार को प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में  नाबालिगों के साथ रेप की घटना पर नियन्त्रण करने के लिए सरकार ने आरोपी के खिलाफ फांसी की सज़ा का प्रावधान का फैसला लिया. POCSO एक्ट में सुधार कर अब 12 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी को फांसी की सज़ा मिलेगी.

इससे पहले भी हुई फांसी की मांग:

भले ही सरकार ने कठुआ, उन्नाव और सूरत जैसे रेप मामलों के बाद अध्यादेश लाने का फैसला लिया हो, लेकिन रेप के मामलों में कड़ी सजा की मांग पिछले 19 सालों से चल रही है. 1998 में तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने रेप के आरोपियों को फांसी देने की अपील की थी. उस दौरान उन्होंने कहा था कि इस मामले में राज्य और केंद्र सरकार को साथ में विचार करना चाहिए.

3 राज्यों में पहले से है रेप केस में फांसी की सज़ा का कानून:

गौरतलब है कि करीब तीन राज्यों ने इस प्रकार की घटनाओं में कड़ी सज़ा के लिए बिल को पहले ही पास कर दिया है. इनमें मध्यप्रदेश की सरकार ने बीते दिसंबर में बिल को पास किया था. वहीं इसके बाद हरियाणा की खट्टर सरकार और राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार ने भी ऐसे ही प्रावधानों को पेश किया है. ये तीनों ही बीजेपी शासित राज्य हैं.

शिवराज सरकार- मध्य प्रदेश:

4 दिसंबर 2017 को कानून पारित– 12 साल तक की बच्ची से रेप के मामले में मध्य प्रदेश की विधानसभा ने एक बिल को मंजूरी दी थी। इसके तहत 12 साल या उससे कम उम्र की लड़कियों के साथ बलात्कार के आरोपियों को फांसी की सजा दी जाएगी। यह सजा गैंगरेप वाले मामले में भी लागू होगी।
मध्य प्रदेश भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) और 376 डी (सामूहिक बलात्कार) में संशोधन प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की थी। दोनों धाराओं में दोषी को फांसी की सजा देने का प्रावधान शामिल किया गया है। महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और उन्हें घूरने जैसे मामले में दोषियों को सजा के साथ एक लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।

भारत में रेप मामलों में आरोपी को फांसी देने का कानून सबसे पहले मध्यप्रदेश में ही पारित हुआ. गौरतलब है कि एनसीआरबी की 2016 की रिपोर्ट में रेप के मामले में मध्य प्रदेश नंबर वन पायदान पर था, जिसके बाद शिवराज सिंह चौहान सरकार ने यह कानून पारित करवाया.

वसुंधरा राजे सरकार- राजस्थान

9 मार्च 2018 को कानून पारित- मध्य प्रदेश सरकार के सरहनीय कदम के बाद इसी साल 9 मार्च को वसुंधरा राजे सरकार ने भी राजस्थान में 12 साल या उससे कम उम्र लड़कियों से रेप के दोषियों को फांसी की सजा के प्रावधान वाला बिल सदन में पास किया।

बिल पास होने के बाद राजस्थान दूसरा राज्य बन गया,  जिसने रेप के मामले में फांसी की सजा का कानून बनाया है। बता दें कि राजस्थान में साल 2017 में दुष्कर्म के कुल 3305 मामले सामने आए थे.

इस नए आपराधिक कानून (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2018 के जरिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में धारा 376-एए को जोड़ा गया है।

खट्टर सरकार-हरियाणा  :

27 फरवरी को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में हुई बैठक में रेप से जुड़े कानूनों में बदलाव किए गए थे। इसमें 12 साल से कम उम्र की लड़कियों के रेप के दोषियों को मृत्यु दंड देने का प्रावधान किया गया। बैठक के बादहरियाणा सरकार के प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया था कि महिला अपराधों से जुड़े भारतीय दंड संहिता के कानून की धारा 376, 376 डी, 354, 354 की धारा 2 में कुछ नई धाराएं जोड़ी गई हैं। आईपीसी की धारा 376 में एक नया सेक्शन जोड़ा गया है, जिसके मुताबिक हरियाणा में अब 12 साल से कम उम्र की लड़कियों से रेप के दोषी को मृत्युदंड देने का प्रावधान किया है। जिस पर अब सदन की भी मुहर लग गई है।

नए बदलाव के तहत लिए गए फैसले:

Criminal Law (Amendment) Ordinance, 2018 के जरिए सरकार रेप के मामलों में सख्ती के साथ महिलाओं और खासतौर से देश की बेटियों में सुरक्षा की भावना पैदा करना चाहती है।

 महिला से रेप के मामले में न्यूनतम सजा को 7 साल से बढ़ाकर 10 साल किया गया है। इसे उम्रकैद में भी बदला जा सकता है।
 16 साल से कम उम्र की लड़की से रेप पर न्यूनतम सजा को 10 साल से बढ़ाकर 20 साल किया गया है। इसे मौत तक कैद में भी बदला जा सकता है।
– 16 साल से कम उम्र की लड़की से गैंगरेप की सजा को निरपवाद रूप से ताउम्र जेल किया गया है।
 12 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप पर न्यूनतम 20 साल की सजा या ताउम्र जेल या फिर मौत की सजा दी जा सकती है।
– 12 साल से कम उम्र की बच्ची से गैंगरेप पर ताउम्र जेल या मौत की सजा दी जाएगी।
फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट:
– रेप के सभी मामलों में जांच की समयसीमा तय कर दी गई है, जिसे अनिवार्य रूप से 2 महीने के भीतर पूरी करनी होगी।
– रेप के सभी मामलों में सुनवाई की भी समयसीमा निर्धारित कर दी गई है, जो 2 महीने है।

अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं :
– 16 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप या गैंगरेप के आरोपी के लिए अग्रिम जमानत का कोई प्रावधान नहीं होगा। हाई कोर्ट और राज्यों से चर्चा के बाद नई फास्ट ट्रैक अदालतें बनाई जाएंगी। सभी थानों और अस्पतालों को रेप के मामलों के लिए स्पेशल फरेंसिक किट्स दिए जाएंगे।

बहरहाल देश में अब रेप केस मामले ने सभी राज्यों में आरोपी को फांसी देने के कानून के साथ उम्मीद जताई जा सकती है के रेप मामलों में कमी आएगी.

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