सशस्त्र बल न्यायाधिकरण की कोच्चि पीठ ने एक मुस्लिम सैनिक को सिर्फ इसीलिए बर्खास्त कर दिया क्योंकि उसने अपने धार्मिक आधार पर कमांडिंग ऑफिसर के दाढ़ी बनाने के आदेश को मानने से इंकार कर दिया था। नियमों की अवहेलना करने पर सेना ने उसे बर्खास्त करते हुए अनडिजायरेबल सोल्जर करार दिया।

कर्नाटक के मक्तुमहुसेन अप्रैल, 2001 में आर्मी मेडिकल कोर में एक सैनिक के रूप में शामिल हुए थे। वर्ष 2010 में उनका स्थानांतरण 371 फील्ड हॉस्पिटल में किया गया। 34 वर्षीय मक्तूमहुसैन ने 2001 में अपने कमांडिंग ऑफिसर से दाढ़ी बढ़ाने इजाजत माँगी थी, जिसके लिए उसने अपने अपने धर्मिक आधार पर जोर दिया था। उस समय कमांडिंग ऑफिसर ने उन्हें दाढ़ी बढाने की अनुमति दे दी थी। कमांडिंग ऑफिसर ने उन्हें निर्देश दिया था कि एक दोबारा एक नए पहचान पत्र के लिए आवेदन करे और लिखकर दे कि वह उम्र भर अपनी दाढ़ी रखेंगे।

लेकिन बाद में कमांडिंग ऑफिसर एहसास हुआ कि नियमों के मुताबिक़ सिर्फ सिख लोग ही दाढ़ी रख सकते हैं। नियमों के आधार पर कमांडिंग ऑफिसर ने मक्तूमहुसैन को दिए आदेश को वापस ले लिया और उन्हें दाढ़ी बनाने का आदेश दिया। मक्तूमहुसैन ने इस आदेश को भेदभाव बताते हुए इस नियम के खिलाफ कर्नाटक हाई कोर्ट में अपील की।

इसी बीच उसका तबादला पुणे के कमांड हॉस्पिटल में कर दिया गया। यहाँ पर भी उनके नए कमांडिंग ऑफिसर ने उन्हें दाढ़ी बनाने का आदेश दिया। लेकिन उन्होंने फिर से इस आदेश को मानने से इंकार कर दिया। जिसके बाद मक्तुमहुसेन को कारण बताओ नोटिस भेजा गया और अनुशासनहीनता के लिए मिलिटरी हिरासत में 14 दिन कैद की सजा दी गई।

इस सब के वाबजूद भी मक्तुमहुसेन ने सेना के निर्देशों की अवहेलना की और दाढ़ी नहीं बनाई। जिसकी वजह से उनपर कार्रवाई करते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया गया और ‘अनडिजायरेबल सोल्जर’ घोषित किया गया।

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