[nextpage title=”गंगा में विसर्जित की गयी अस्थियां कहाँ जाती है” ]

देवी गंगा श्री हरि विष्णु के चरणों से निकलती हैं और भगवान शिव की जटाओं में आकर बसती हैं। श्री हरि विष्णु और भगवान शिव से घनिष्ठ संबंध होने के कारण ही माँ गंगा को पतित पाविनी कहा जाता है। हिन्दू धर्म में गंगा के जल को बेहद पवित्र एवं पावन बताया गया है और माना जाता है कि गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।

हिन्दू धर्म में मान्यता है कि व्यक्ति के अंतिम संस्कार के बाद उसकी अस्थियां गंगा में विसर्जित की जाती है। सदियों से ऐसा किया जा रहा है लेकिन बहुत ही कम लोग हैं जो ऐसा करने के पीछे के सही कारणों को जानते हैं।

अस्थियों के पतित पाविनी गंगा में बहाये जाने के क्या कारण हैं? और गंगा में विसर्जित की गयी अस्थियां आखिरकार कहाँ जाती है? इस वीडियो में बताया गया है।

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माना जाता है कि गंगा में अस्थियाँ विसर्जित करने से मृत व्यक्ति की आत्मा को शान्ति मिलती है। सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार, मृत व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए अस्थियों को गंगा में विसर्जन करना उत्तम है। गंगा में विसर्जित की गईं अस्थियां बैकुण्ठ में श्री हरि विष्णु के चरणों में जाती हैं।

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