इस साल जिन बच्चों को नर्सरी में एडमिशन लेना है.उनके अभिभावकों ने सोमवार को  हुई हाई कोर्ट सुनवाई में बोला की आम आदमी पार्टी द्वारा गैर सरकारी स्कूलों में एडमिशन के लिए प्रयोग मापदंड सही नहीं हैं.मौलिक अधिकारों को ठेस पहुंचा रहे हैं ऐसे नियम.फिलहाल सुनवाई को तीस जनवरी के लिए टाल दिया गया है.कोर्ट में वकील ने पिछली सुनवाई के तथ्य रखे थे.

अभिभावकों को हो रही चिंता

  • वर्तमान समय में राज्य और डीडीए के नियमों में आम इंसान फंस रहा है.
  • अभिभावकों द्वारा ये दलील रखी गयी की हम अपने बच्चों को किस स्कूल में भेजें.
  • इस पर बहुत कश्मकश का माहौल है.कोर्ट से जल्द मामले में न्याय देने को कहा.
  • वहीँ दूसरी और डीडीए की जमीन पर बने स्कूलों पार कोर्ट में सुनवाई हुई.
  • इस मामले में भी स्कूलों को राहत नहीं मिली है.
  • कोर्ट ने इस मुद्दे पर दायर याचिका को खारिज कर दिया है.
  • कोर्ट ने अपने फैसले में कहा स्कूलों द्वारा अगर ज़मीन ली गयी है तो
  • नियम का पालन होना भी ज़रूरी है.

प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस बढ़ाने पर जताई चिंता

  • सुप्रीम कोर्ट ने बोला अगर इसी तरह स्कूलों को फीस बढ़ानी है तो डीडीए की जमीन
  • वापस कर दी जाए.इस सन्दर्भ में नियम बहुत मायने रखते हैं.
  • 19 जनवरी 2016 को दिल्ली हाईकोर्ट ने इस केस में सुनवाई करते हुए बोला था.
  • डीडीए की जमीनों पर बने पब्लिक स्कूलों द्वारा अगर फीस बढ़ाई जायेगी.
  • उससे पहले दिल्ली सरकार से इजाजत लेनी पड़ेगी.
  • ज़मीन मुहैया करवाते वक़्त यहीं शर्त राखी गयी थी.
  • कई स्कूलों ने इस फैसले को चुनौती दी थी.
  • आकड़ों पर गौर करें तो दिल्ली में 400 स्कूल डीडीए की जमीन पर निर्मित हैं.
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