दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को लाभ का पद धारण करने के कारण अयोग्य घोषित किए जाने की सिफारिश चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति को भेज दी थी जिसपर राष्ट्रपति ने अपनी मुहर लगा थी.दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को लाभ का पद धारण करने के कारण अयोग्य घोषित किये जाने के बाद दिल्ली में उपचुनाव का संकट मंडरा रहा है.राष्ट्रपति द्वारा चुनाव आयोग की सिफारिश मुहर लगाते ही आप ने उन्हें बीजेपी का एजेंट तक बता दिया था. आम आदमी पार्टी 20 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के बाद हाई कोर्ट पहुंची है.

HC ने चुनाव आयोग से माँगा जवाब

दिल्ली हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को एक हलफनामा दायर कर लाभ के पद पर रहने वाले आप के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने के उसके फैसले के तथ्यात्मक पहलुओं को बताने के लिए कहा है. मामले की सुनवाई कर रहे जज संजीव खन्ना और जज चंद्र शेखर की खंडपीठ ने चुनाव पैनल को हलफनामा दायर करने के लिए कहा है. इससे पहले चुनाव आयोग ने कहा था कि दिल्ली विधानसभा से अपनी अयोग्यता को चुनौती देने वाली विधायकों की याचिका में लगाए गए कुछ आरोपों पर वह जवाब देना चाहता है. इस मामले में केजरीवाल सरकार लगातार बीजेपी पर आरोप लगा रही है और प्रधानमंत्री पर निशाना साध रही है.

राष्ट्रपति ने लगाई थी चुनाव आयोग की सिफारिश पर मंजूरी की मुहर

विधायकों या सांसदों को अयोग्य घोषित करने की मांग वाली याचिकाओं पर अंतिम फैसला लेने से पहले राष्ट्रपति चुनाव आयोग की राय लेते हैं. चुनाव आयोग की राय के मुताबिक ही राष्ट्रपति इन याचिकाओं पर फैसला करते हैं. राष्ट्रपति ने 20 विधायकों को लाभ के पद का वहन करने का दोषी पाया था. फ़िलहाल दिल्ली में उपचुनावों पर लगी अंतरिम रोक बरकरार, रहेगी. हालाँकि राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग की सिफारिश स्वीकार कर ली थी जिसके बाद अब 20 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के आसार नजर आ रहे हैं.

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