विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने नए उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के नए सभापति एम. वेंकैया नायडू का स्वागत किया। आजाद ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि निष्पक्षता की परंपरा कायम रहेगी।

आजाद ने किया नायडू का स्वागत-

  • गुलाम नबी आजाद ने कहा कि नायडू एक साधारण पृष्ठभूमि से आए हैं और अपने जीवन के शुरुआती समय में उन्होंने काफी संघर्ष किया।
  • आज वह देश के शीर्ष नेताओं में से एक हैं।
  • उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र और संविधान का एक बेहतरीन हिस्सा है।
  • आजाद ने कहा, “आप इस कुर्सी पर बैठने का अवसर पाने वाले बहुत ही चुनिंदा लोगों में से हैं, आप जमीन से उठे हैं और बहुत ही सामान्य पृष्ठभूमि से आए हैं, यह हमारे लोकतंत्र और संविधान के बेहतरीन भाग को दर्शाता है।”
  • आजाद ने समूचे विपक्ष की तरफ से नए सभापति का स्वागत किया।
  • इस दौरान आजाद ने कहा कि ऊपरी सदन को चलाना एक दोहरी जिम्मेदारी है।
  • क्योंकि सदस्यों को उन विधायकों की आशाओं को पूरा करना होता है।
  • जिन्होंने उन्हें चुना है और उन लोगों की आशाओं को भी जिन्होंने विधायकों को चुना है।
  • उन्होंने कहा कि न्यायाधीश, लोकसभा अध्यक्ष व राज्यसभा के सभापति जैसे लोगों के पास जो पैमाना होता है, वह हमें याद दिलाता है कि वे निष्पक्ष हैं।
  • उन्हें सही और निष्पक्ष होना चाहिए जिससे सदन उचित तरीके से चले।
  • आजाद ने कहा, “हमारे सदन की जिम्मेदारी दोहरी है, इस वजह से यह परंपरा बनी रहनी चाहिए कि कोई विधेयक इस सदन से शोरगुल में पारित नहीं हो..आशा है कि परंपरा बनी रहेगी।”

व्यक्ति की क्षमताएं पृष्ठभूमि से बधी हुई नहीं-

  • माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी को गुरुवार को राज्यसभा से विदाई दी गई।
  • येचुरी के भी बेहद आम परिवार से उठकर यहां तक आने का जिक्र आजाद ने किया
  • उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र की शक्ति है।
  • एक व्यक्ति की क्षमताएं उसकी गरीबी या कमजोर पृष्ठभूमि से बधी हुई नहीं हैं।
  • आजाद ने कहा कि सदन में ऐसे लोग हैं जो जमीनी स्तर से शीर्ष पदों पर पहुंचे है।
  • ऐसे लोग जो गरीब हैं व समृद्ध नहीं है वे अपने कार्यो के दम पर शीर्ष पर पहुंचे हैं।
  • यह लोकतंत्र की सबसे अच्छी बात है, यह संविधान की ताकत है।
  • उन्होंने कहा कि हमें ऐसे लोगों को भी नहीं भूलना चाहिए।
  • जो एक समृद्ध पृष्ठभूमि से आए और अपना जीवन राष्ट्र के लिए बलिदान कर दिया।
  • हमें उन्हें आज नहीं भुलाना चाहिए।
  • मोती लाल नेहरू, महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटले व मौलाना आजाद सभी समृद्ध थे, फिर भी इन सभी ने सभी चीजें छोड़कर अपना जीवन देश को दे दिया।
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