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आप के 20 विधायक अयोग्य करार दिए गए, राष्ट्रपति ने लगाई मुहर

President Kovind approves EC recommendation to disqualify 20 AAP MLAs

President Kovind approves EC recommendation to disqualify 20 AAP MLAs

आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी गई है.दो  दिन पहले चुनाव आयोग ने इस बात की जानकारी दी थी जिसपर सिर्फ राष्ट्रपति की मोहर लगनी बाकी थी.राष्ट्रपति ने 20 विधायकों की सदस्यता को रद्द किया.चुनाव आयोग की सिफारिश पर अमल करते हुए राष्ट्रपति ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य करार दे दिया है. सरकार ने राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अधिसूचना जारी कर इसकी जानकारी दी.आपको बता दें शुक्रवार को चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति से आप के 20 विधायकों को लाभ के पद पर काबिज होने के कारण अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की थी.चुनाव आयोग की सिफारिश पर राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता अब रद्द हो गई है.

 

 आम आदमी पार्टी ने अदालत  का दरवाज़ा खटखटाया है

आम आदमी पार्टी के पास अब एक ही विकल्प बचा है और वो है अदालत का दरवाज़ा खटखटाना.आम आदमी पार्टी ने अपने 20 विधायकों की सदस्यता के खिलाफ अदालत का दरवाज़ा खटखटाने का एलान किया है.राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल राय ने कहा कि वो इस फैसले को अदालत में चुनौती देंगे. इसके साथ ही एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए उन्होंने साफ किया कि वो चुनाव के लिए तैयार हैं.आपको बता दें कि अगर आम आदमी पार्टी को अदालत से राहत नहीं मिलती है तो दिल्ली में इन 20 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होंगे.

क्या उपचुनाव होंगे है?

यूं तो आम आदमी पार्टी के पास अब भी इस फैसले के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने का अधिकार बचा है लेकिन देखा गया है कि आमतौर पर अदालतें चुनाव आयोग के फैसलों में हस्तक्षेप नहीं करती हैं.यानि कुल मिलाकर दिल्ली में अगले छह महीनों में मिनी विधानसभा चुनाव के आसार ज्यादा हैं.

 

केजरीवाल की सरकार बची रहेगी

20 विधायोकं के निपटने के बाद भी केजरीवाल सरकार के पास 46 विधायक बचते हैं जो बहुमत के लिए जरुरी 36 से ज्यादा है. यानि सरकार सुरक्षित है.

क्या है पूरा मामला?

केजरीवाल सरकार ने 13 मार्च 2015 में 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया और हल्ला मचने पर जून में सरकार ने विधानसभा में बिल पास करवाया जिसे राष्ट्रपति ने नामंजूर कर दिया.दरअसल, प्रशांत पटेल नाम के एक सज्जन ने 19 जून 2015 को राष्ट्रपति के पास शिकायत भेजी. इसमें कहा गया कि आप ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बना कर लाभ के पद पर रखा है. उन्हें अलग दफ्तर दिया गया है, फोन का इस्तेमाल हो रहा है और पेट्रोल का खर्चा दिया जा रहा है.

हालांकि आप की तरफ इस सभी विधायकों ने अलग से तनख्वाह या भत्ते लेने से इनकार किया था.उधर राष्ट्रपति ने पटेल की अर्जी को चुनाव आयोग के पास भेजा तो उधर मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा से लाभ के पद के कारण अयोग्य ठहराने के प्रावधान को खत्म करने का बिल पास करवाया.दूसरी ओर एक जनहित याचिका हाई कोर्ट में लगाई गयी जिसने 8 सिंतबर 2016 को इन संसदीय सचिवों की पद पर नियुक्ति को रद्द कर दिया. इसके बाद ही तय हो गया था कि चुनाव आयोग का फैसला भी खिलाफ आ सकता है.

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