माननीय राष्ट्रपति ने शहीद नायब सूबेदार राजेश पठानिया को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया। राष्ट्रपति ने ये सम्मान उनकी धर्मपत्नी निशा पठानिया को दिया है। शहीद नायब सूबेदार राजेश पठानिया उप-तहसील टीहरा के लग्रूार गांव के रहने वाले थे।

कैसे हुए शहीद ‘पठानिया’:

बता दें कि नायब सूबेदार राजेश पठानिया सैन्य टुकड़ी के साथ जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के बड़ारवाला के जंगलों में तलाशी अभियान पर निकले हुए थे। ये घटना 28 अक्टूबर, 2014 को सुबह तक़रीबन 6 बजे की है। वहां कुछ आतंकी छिपे हुए थे, जो सैनिकों को देखकर भागने लगे थे। राजेश ने जंगल की सीधी ढलान को तेज दौड़ कर पार किया और नाले को बंद कर दिया और उसके बाद दोनों तरफ से गोलीबारी शुरू हो गई थी।

अदम्य साहस का प्रदर्शन करते हुए और अपनी जान की परवाह न करते हुए राजेश रेंगते हुए आगे बढ़ रहे थे वहीँ आतंकवादी बेहद करीब से अंधाधुंध गोलीबारी कर रहे थे। राजेश ने उनमें से एक आतंकी को मार गिराया और उसके बाद बचे हुए दो आतंकवादी एक चट्टान के पीछे छिप गए और वहां से गोलियां बरसाते रहे।

अंत तक लड़ते रहे पठानिया:

नायब सूबेदार राजेश पठानिया आतंकियों का सफाया करने का दृढ़ निश्चय लेकर आगे बढ़ रहे थे तभी घात लगाए बैठे आतंकियों ने उनपर हमला बोल दिया। फिर भी चोट की परवाह न करते हुए वह गोली चलाते रहे और एक अन्य आतंकी को भी मार गिराया। चूँकि राजेश को गोली लगी लगी थी और अपने अदम्य साहस से आतंकियों के मंसूबों पर पानी फेरने वाले इस वीर को अंतत: वीरगति प्राप्त किये।

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