नाबालिगों के साथ दुष्कर्म के आरोपी को फांसी की सज़ा सम्बन्धी अध्यादेश पर आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर अपनी सहमती दर्ज करवा दी है. अब से 12 साल से कम उम्र के बच्चों से दुष्कर्म के आरोप में फांसी की सज़ा होगी.

राष्ट्रपति ने आज किया अध्यादेश पर हस्ताक्षर:

कठुआ, उनाव और सूरत रेप केस के बाद से ही देश भर में बढ़ रहे आक्रोश के बाद कल प्रधानमंत्री मोदी आवास पर 2.30 घटे हुई बैठक में नाबालिगों के साथ दुष्कर्म मामले में आरोपी को कठोरतम दंड प्रावधान करते हुए आरोपी को फांसी की सज़ा देने का अध्यादेश लाने की कवायद पूरी हुई. अब POCSO एक्ट में संशोधन किया जायेगा और 12 साल से छोटे बच्चों के साथ दुष्कर्म के आरोपी को फांसी की सज़ा दी जाएगी.

उसी कड़ी में आज भारतीय राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नाबालिगों के बालात्कार के आरोपी के खिलाफ फांसी की सज़ा के अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर अपनी सहमती दर्ज करवा दी.

बता दें कि इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को खत लिख कर इस निर्मम अपराध के लिए अध्यादेश लाने की सूचना दी थी. दिल्ली में महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल भी बलात्कारी आरोपी के लिए फांसी की सज़ा की मांग को लेकर अनशन पर थी.

गौरतलब है कि पॉक्सो कानून के अभी तक के प्रावधानों के अनुसार इस जघन्य अपराध के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद है, न्यूनतम सजा सात साल की जेल है. दिसंबर 2012 के निर्भया मामले के बाद जब कानूनों में संशोधन किये गये. इसमें बलात्कार के बाद महिला की मृत्यु हो जाने या उसके मृतप्राय होने के मामले में एक अध्यादेश के माध्यम से मौत की सजा का प्रावधान शामिल किया गया जो बाद में आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम बन गया.

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